अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। गुगल पिछले कुछ सालों में यूजर डेटा चोरी करने या उसका दुरूपयोग करने या सिस्टम के साथ छेड़छेाड़ करने के दोषी 80 कर्मचारियों को कंपनी से निकाल चुकी है। कंपनी ने 2020 में सुरक्षा संबंधी मामलों के मद्देनजर कुल 36 कर्मचारियों को निकाल दिया। एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। मदरबोर्ड की ओर से आई इस रिपोर्ट से यह पता चलता है कि गूगल जैसी टेक दिग्गज कंपनियां भी अपनी ही चारदीवारी के भीतर कर्मचारियों द्वारा यूजर डेटा सुरक्षा के लिए जूझ रही हैं। यह रिपोर्ट एक आंतरिक गुगल दस्तावेज़ पर आधारित है जिसे मदरबोर्ड ने पकड़ लिया था।
इंडिया टुडे के हवाले से मदरबोर्ड के अनुसार जो दस्तावेज़ उन्होंने पकड़ा है, वह "ठोस आंकड़े" देता है कि कैसे गूगल ने कर्मचारियों को अपने डिवाइसेज और डेटा का दुरुपयोग करने के लिए बाहर कर दिया। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि टेक दिग्गज गुगल ने 2018 और 2020 के बीच कथित रूप से गुगल यूजर या कर्मचारी डेटा तक पहुंचने के लिए दर्जनों कर्मचारियों को निकाल दिया था। मदरबोर्ड को दिए एक बयान में, गुगल के एक प्रवक्ता ने कहा कि अधिकांश उदाहरण जहां कर्मचारियों को निकाल दिया गया था, वे “संवेदनशील कॉर्पोरेट जानकारी या आईपी के अनुचित उपयोग, या दुरुपयोग से संबंधित हैं। बेशक, इसका यूजर डेटा से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन कंपनी के अपने ट्रेड रहस्य हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यूजर डेटा के साथ इस तरह की बेईमानी गुगल पर कभी नहीं की गई है। मगर कंपनी जोर देकर कहती है कि इस तरह के उल्लंघनों की संख्या, चाहे जानबूझकर या अनजाने में, “लगातार कम है और यह यूजर डेटा तक बहुत सीमित कर्मचारी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बेस्ट प्रैक्टिसेज का पालन करती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.