राणा ओबराय
चडींगढ। हरियाणा के दो एवं गुजरात के दो यानी कुल चार और भारतीय स्थलों को ‘रामसर संधि’ के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों के तौर पर मान्यता दी गई है और देश में अब इस प्रकार के स्थलों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है। मंत्रालय के अनुसार, ऐसा पहली बार हुआ है कि हरियाणा की दो आर्द्रभूमियों-गुरुग्राम के सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान और झज्जर स्थित भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य- को रामसर सूची में शामिल किया गया है।
रामसर सूची का उद्देश्य ”आर्द्रभूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना और बनाए रखना है जो वैश्विक जैविक विविधता के संरक्षण और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों एवं प्रक्रियाओं के रखरखाव एवं लाभों के माध्यम से मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं”। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पर्यावरण के प्रति चिंता के कारण भारत में आर्द्रभूमियों की देखभाल के तरीके में समग्र सुधार हुआ है।
हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि चार और भारतीय आर्द्रभूमियों को अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियों के रूप में रामसर की मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि गुजरात के थोल एवं वाधवाना और हरियाणा के सुल्तानपुर एवं भिंडावास को रामसर ने मान्यता दी है। भारत में रामसर स्थलों की संख्या अब 46 है। हरियाणा का भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य मानव निर्मित ताजाजल आर्द्रभूमि है। यह हरियाणा में सबसे बड़ी आर्द्रभूमि है। वर्षभर पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियां इस अभयारण्य का उपयोग विश्राम स्थल के रूप में करती हैं।
यह स्थल मिस्र के गिद्ध, स्टेपी ईगल, पलास की फिश ईगल और ब्लैक-बेलिड टर्न सहित विश्व स्तर पर 10 से अधिक विलुप्तप्राय प्रजातियों के उपयुक्त है। हरियाणा स्थित सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान उसके मूल पक्षियों, शीतकालीन प्रवासियों और स्थानीय प्रवासी जलपक्षियों की 220 से अधिक प्रजातियों के लिए उनके जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में अनुकूल है। इनमें से 10 से अधिक अधिक प्रजातियां वैश्विक स्तर पर विलुप्तप्राय श्रेणी में आती है।
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