बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। दिशा छात्र संगठन की ओर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पर योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियन्त्रण बिल-2021 के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया गया। दिशा छात्र संगठन के अमित ने कहा कि योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियन्त्रण बिल वास्तव में जनता के जनवादी अधिकारों पर फ़ासीवादी हमला है। यह कांग्रेस सरकार द्वारा इन्दिरा गाँधी के दौर में जबरन लागू की गयी नसबन्दी की योजना से भी अधिक बर्बर है। योगी सरकार अपनी नाक़ामियों का ठीकरा जानबूझ कर जनता के सिर पर फोड़ रही है।
सरकार की जनविरोधी नीतियों की वजह से फैली भुखमरी, बेरोज़गारी जैसी समस्याओं के लिए जनसंख्या के नाम पर जनता को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि प्रदेश में न तो संसाधनों की कमी है और न ही अनाज और अन्य चीज़ों की। एफ़सीआई को गोदामों में हर साल लाखों टन अनाज सड़ जाता है, चूहे खाते हैं। लेकिन देश में हर रोज़ 6000-7000 बच्चे भूख और कुपोषण से मर जाते हैं। इसी तरह से हर सरकारी विभाग में लाखों पद खाली पड़े हैं।
नये पदों का सृजन करना तो दूर, पुराने पदों को समाप्त किया जा रहा है और सारा काम संविदा और ठेके पर दिया जा रहा है। अगर इन चीज़ों का समुचित प्रबन्ध किया जाये तथा संसाधनों और पैसों का ठीक से इस्तेमाल किया जाये, विधायकों-सांसदों की ऐय्याशी में कमी की जाये; तो बेरोज़गारी, भुखमरी जैसी तमाम समस्याओं को हर किया जा सकता है। लेकिन जनता को मिलने वाली हर सुविधा को छीनकर सरकार बड़े कॉरपोरेट घरानों की तिजोरी में डाल देना चाहती है। इसीलिये जनवादी अधिकारों पर हमला करने वाले इस बर्बर बिल को पेश किया गया है। कोरोना महामारी के भयंकर दौर में भाजपा सरकार 20000 करोड़ रुपये खर्च करके सेण्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर काम करती रही। इसके लिए विशेष क़ानून तक पारित करा दिया गया। इतने पैसों में 100 करोड़ रुपये की लागत वाले कम से कम 200 अस्पताल तैयार हो सकते थे। लेकिन जनता की सुविधाओं और ज़रूरतों पर ख़र्च करने की बजाय सरकार जनता को ही दोषी साबित करने में लगी हुई है। साथ ही इस क़ानून के ज़रिए ज़्यादा बच्चे पैदा करने के दुष्प्रचार के अपने साम्प्रदायिक एजेण्डे को साधना भी सरकार का एक मक़सद है।
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