अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को किसी आपराधिक मामले में घिर जाने के बाद ईरान में फंस गये पांच भारतीय नाविक को सहायता प्रदान करने एवं इस मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ” मैं कह रही हूं कि नियमानुसार जो भी संभव हो कीजिए। वे जिस चीत के हकदार हैं, उन्हें वह मिलना ही चाहिए।”
अदालत ने इसी के साथ केंद्र को भारतीय नाविक की स्थिति रिपोर्ट दर्ज करने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया। उच्च न्यायालय ने केंद्र के वकील हरीश विद्यानाथन के इस बयान को रिकार्ड में लिया कि पांचों नाविक ईरान में भारतीय मिशन के अधिकारियों के संपर्क में हैं और उन्हें रहने की सुविधा प्रदान की गई है।
उन्होंने कहा, ” सभी पांचों को मिशन से निरंतर सहायता मिल रही है , उन्हें एक होटल में ठहराया गया है, उनके साथ संपर्क बनाकर रख गया है और उन्हें टेलीफोन की सुविधा दी गयी है।” विद्यानाथन ने अदालत को यह भी सूचित किया कि पांचों नाविकों के विरूद्ध आपराधिक मामले में बरी के आदेश के ईरान के सुप्रीम कोर्ट ने पलट किया, ऐसे में अब कानूनी दृष्टि से जो भी अलग कदम उठाना होगा,उठाया जाएगा।
पाचों नाविकों के परिवारों के वकील गुरिदंर पाल सिंह ने भारतीय अधिकारियों से कानूनी सहायता मांगी और यह भी दरख्वास्त किया कि उनकी भारतीय पहचान को साबित करने वाला दस्तावेज जारी किया जाए। इस पर अदालत ने कहा, ” हम स्थिति रिपोर्ट मांगेंगे। वह (सहायता से) इनकार तो नहीं कर रहे हैं। याचिका के अनुसार 2019 में इन नाविकों ने ईरान में एक मालवाहक जहाज पर काम शुरू किया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील के अनुसार फरवरी, 2020 में ईरानी अधिकारियों ने जहाज पर छापा मारा और पांच नाविकों को मादक पदार्थ की तस्करी करने की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इस साल मार्च में एक अदालत ने उन्हें बरी कर दिया लेकिन ईरानी अधिकारियों ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में होने का हवाला देकर नाविकों को पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया।
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