शनिवार, 3 जुलाई 2021

जमानत पर रिहा करने से इनकार, अर्जी खारिज की

बृजेश केसवानी           
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आपराधिक केस में जमानत नियम तो जेल अपवाद है। किन्तु जमानत देना अपराध के तथ्यों व परिस्थितियों को देखते हुए जज के विवेक पर निर्भर करता है।
कोर्ट ने कहा दुराचार के साक्ष्य पर ट्रायल के समय विचार होगा। यह देखा जायेगा कि पीड़िता के साथ उचित न्याय हो। कोर्ट ने नाबालिग के साथ दुराचार कर वीडियो वायरल करने व धमकाने के आरोपी रिजवान को जमानत पर रिहा करने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया है। मंडी जिले की कोतवाली में नाबालिग बच्ची के गर्भवती होने पर पांच माह बाद 28 जनवरी 18 को एफ आई आर दर्ज करायी गयी। लड़की ने अपनी मां से उसके साथ हुए दुराचार की घटना बतायी। जब मेडिकल जांच हुई तो रिपोर्ट आयी कि बाह्य चोट नहीं है। इसके आधार पर आरोपी रिजवान ने कहा उसे फंसाया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा लड़की का बयान और आरोपी की धमकी अपराध की गम्भीरता बता रहे है। पांच माह बाद जाच रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में साक्ष्यों पर तय होगी। इसके  आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती।

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