मंगलवार, 6 जुलाई 2021

मंत्रालय की बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र को यह सुनिश्चित करने को कहा कि मानसिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रह रहे लोगों की कोविड-19 संबंधी जांच की जाए और उनका पूर्ण टीकाकरण हो। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की एक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों से लोगों को भिक्षुक गृह भेजे जाने के मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया और तुरंत इसे रोकने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि यह नुकसानदेह है और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से 12 जुलाई को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की बैठक में शामिल होने और पूर्ण सहयोग करने का निर्देश भी दिया।
पीठ ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से ऐसे केन्द्रों में जो लोग ठीक हो गए हैं, लेकिन अब भी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में हैं या जिन्हें अब भी उपचार की आवश्यकता है, उन लोगों के बारे में प्रस्तुत आंकड़ों में विसंगतियों को दूर करने को भी कहा। पीठ ने कहा कि वह अब इस मामले पर नजर रखेगा और तीन सप्ताह बाद मामले पर सुनवाई करेगा, क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है।
शीर्ष अदालत वकील गौरव बंसल की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीब 10 हजार लोग, जो ठीक हो चुके हैं, उन्हें सामाजिक कलंक माने जाने के कारण अब भी देश के विभिन्न मानसिक अस्पतालों एवं संस्थाथनों रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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