अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कहा कि मानवता के समक्ष जलवायु परिवर्तन अत्यधिक संकटपूर्ण चुनौती है और ग्लोबल वार्मिंग का असर हर जगह हो रहा है। कोविंद ने यहां कश्मीर विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह उम्मीद भी जताई, कि विश्वविद्यालय स्थित ग्लेशियर विज्ञान एवं हिमालय जैव विविधता केंद्र जलवायु परिवर्तन से लड़ने में दुनिया को मार्ग दिखाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा, ”जैसा कि आप जानते हैं। जलवायु परिवर्तन इस सदी में मानवता के समक्ष अत्यधिक संकटपूर्ण चुनौती है। ग्लेाबल वार्मिंग हर जगह अपना असर दिखा रही है। लेकिन हिमालय क्षेत्र की संवेदनशील पारिस्थितिकी से ज्यादा इसका असर कहीं और अधिक महसूस नहीं होता।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर विश्वविद्यालय ने अत्यंत महत्व के दो केंद्र स्थापित कर संबंधित दिशा में एक और महत्वपूर्ण कार्य किया है। कोविंद ने कहा, ”एक (केंद्रों में से) ग्लेशियर विज्ञान के लिए समर्पित है और दूसरा हिमालय जैव विविधता दस्तावेजीकरण, जैव-विवरण और संरक्षण के लिए। राष्ट्रीय हिमालयी हिम तत्व प्रयोगशाला भी है। मुझे विश्वास है कि इन दोनों उत्कृष्टता केंद्रों और प्रयोगशाला से कश्मीर को मदद मिलेगी तथा ये जलवायु परिवर्तन से लड़ाई एवं प्रकृति की रक्षा करने में दुनिया को मार्ग दिखाएंगे।” जलवायु परिवर्तन को लेकर राष्ट्रपति ने ऐसे समय चिंता व्यक्त की है जब हाल में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक आपदा की घटनाएं देखने को मिली हैं। हिमाचल प्रदेश में रविवार को भूस्खलन की घटनाओं में जहां नौ लोगों की मौत हो गई, वहीं उत्तराखंड में फरवरी में ग्लेशियर फटने से 70 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। राष्ट्रपति ने कोविड-19 का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि विश्वविद्यालय ने महामारी को लेकर बहुत ही सराहनीय ढंग से काम किया।
कोविंद ने कहा, ”समूचा विश्व कठिन समय का सामना कर रहा है। कोरोना वायरस ने जीवन के सभी आयामों को प्रभावित किया है और शिक्षा कोई अपवाद नहीं है। सौभाग्य से, प्रौद्योगिकी ने एक समाधान उपलब्ध कराया। पूरे भारत में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन तरीके से शिक्षा उपलब्ध कराने का काम जारी रखा।” राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि पिछले साल महामारी के शुरू होने के बाद कश्मीर विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने का काम शुरू किया और अपने छात्रों को ई-संसाधन उपलबध कराए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने इसके अतिरिक्त अपने मुख्य, उत्तरी और दक्षिणी परिसरों को पृथक-वास के लिए उपलब्ध कराकर प्रशासन का सहयोग किया। इससे पता चलता है कि समाज के प्रति विश्वविद्यालय का योगदान शिक्षा से परे भी जा सकता है।
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