राणा ओबरॉय
चंडीगढ़। भारत में सालाना लगभग ढाई लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत है। लेकिन जागरूकता की कमी और गुर्दा अनुपलब्धता के कारण इस समय केवल लगभग छह हजार ही ऐसे प्रत्यारोपण हो पा रहे हैं। ग्रेशियन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के गुर्दा रोग से जुड़े विशेषज्ञों ने यह जानकारी देते हुये बताया कि देश में गुर्दा रोगों और इनके प्रत्यारोपण को लेकर जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
अस्पताल के गुर्दा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ सुमीत देवगन ने कहा कि लाइव डोनर से गुर्दा प्रत्यारोपण करने में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है। क्योंकि यहां लगभग 95 प्रतिशत प्रत्यारोपण जीवित डोनर से होता है। जबकि केवल पांव प्रतिशत कैडवर (मृतक) से हो रहा है। कम से कम पांच लाख से अधिक भारतीय हर साल अपने मुख्य कार्य अंगों के विफल होने के कारण मर रहे हैं। लाइव और कैडेवर डोनर के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। इससे मानवांगों की जरूरत और आपूर्ति के बीच भारी असमानता को भी दूर किया जा सकता है। इसके अलावा हर वर्ष दुर्घटनाओं में मरने वाले लगभग चार लाख लोगों के अंग प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध हों तो अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती है।
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