रविवार, 4 जुलाई 2021

संत-महापुरुषों ने राष्ट्र को जागृत करने में योगदान दिया

हरिओम उपाध्याय           
हरदोई। शिव सत्संग मण्डल के ग्रीष्मकालीन धर्मोत्सव में मंडलाध्यक्ष आचार्य अशोक ने कहा कि आद्य शंकराचार्य, स्वामी श्रध्दानंद, बुध्द, महावीर, दयानंद सरस्वती, चाणक्य, समर्थ गुरु रामदास, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, अरविंद घोष, गुरु गोविंद सिंह, स्वामी विवेकानंद, वंदा वैरागी,संत कबीर आदि अनेकों संत-महापुरुषों ने धर्म के साथ-साथ राष्ट्र को संगठित व समाज को जागृत करने में विशेष योगदान दिया।
निकटवर्ती शिव सत्संग मण्डल,आश्रम हुसेनापुर धौकल में आयोजित धर्मोत्सव में कहा किशिवोपासना, शिव के ध्यान और भजन से जीवन सुखमय हो जाता है। परिवारों में सुख शांति स्थापित होती है।मंडलाध्यक्ष ने कहा कि आत्मचिंतन से श्रेष्ठ मूल्यों को जीवन में उतारने का मार्ग प्रशस्त होता हैं।
महात्मा विनोद मिश्र दादा ने बताया कि जीवन अनमोल है।इस अनमोल जीवन के महत्व को समझते हुए एक एक क्षण का उपयोग करते हुए आत्मचिंतन करें।और समग्र जीवन को सफल बनाएं। लखनऊ मंडल के अध्यक्ष राजेश पांडेय ने कहा कि विश्व के विभिन्न देशों में संतों की एक लम्बी श्रृंखला दिखायी पड़ती है। किन्तु भारतीय संत परम्परा को सर्वोपरि माना गया है।
त्याग, तपस्या और लोक कल्याण के लिए ही संत धरती पर विचरण करते हैं। लखीमपुर के जिलाध्यक्ष जमुना प्रसाद ने कहा कि शिव सत्संग मण्डल के संस्थापक संत श्री कृष्ण कन्हैया एवं संत श्रीपाल महाराज ने समाज को जाग्रत कर सत्य की राह दिखाई। जिला महामंत्री रविलाल ने आत्मविश्वास को जगाइये, अंधविश्वास को दूर भगाइए। भय मुक्त जीवन का आनन्द लीजिए।सत्य को जानने और समझने के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती कृत सत्यार्थ प्रकाश का स्वाध्याय अवश्य ही करना चाहिए।ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें। व्यवस्था प्रमुख यमुना प्रसाद ने शिव नाम की महिमा बताते हुए कहा कि परमात्मा शिव के तत्व ज्ञान से जीवन में श्रेष्ठता आती है और बुराइयों का विनाश होता है।

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