शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन किया

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड ने उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन करते हुए कहा है कि सरकार को मसौदा तैयार करने से पहले सामाजिक व धार्मिक संगठनों आदि से विचार विमर्श करना चाहिए था। 
बोर्ड की राष्ट्रीय अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन करते हुए कहा है कि इसको सफल बनाने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन योजना से इसे जोड़ना चाहिए। ताकि आम जनमानस जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर स्वेक्षा से अमल करने की कोशिश करे। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाकर अच्छा कदम उठाया है।
लेकिन अगर सरकार कानून बनाने से पहले प्रदेश के सामाजिक और धार्मिक संगठनों के जिम्मेदारों से भी बात कर लेती तो इसके परिणाम काफी अच्छे निकलते। 
शाइस्ता अंबर ने कहा कि जनसंख्या विस्फोट एक गंभीर समस्या है और इसके दुष्प्रभाव से निपटने के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें काफी जद्दोजहद कर रही हैं। अगर सरकार प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज आदि की घोषणा करती है तो इसके ज्यादा फायदे सामने नजर आते। उनका कहना है कि जोर जबरदस्ती करने से हमेशा सरकार के खिलाफ एक माहौल बन जाता है। जिसका नुकसान सरकारों को उठाना पड़ता है। 
अगर सरकार कानून के बजाए इससे जुड़े फायदों के बारे में लोगों को बताती तो इसका फायदा उठाने के लिए लोग जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर अमल करने की खुद से कोशिश करते दिखाई पड़ते। 
इसके साथ ही उन्होंने कुछ उपाय सुझाते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों के लिए पदोन्नति और वेतनमान में वृद्धि जैसी सुविधाओं का ऐलान करके भी इसको नियंत्रण करने का प्रयास किया जा सकता है। इसके अलावा सरकारी नौकरियों को पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। गैर-सरकारी कर्मचारियों के लिए और आम नागरिकों के लिए तमाम तरह की योजनाओं, स्कीमों आदि को भी इससे जोड़ा जा सकता है। उनका कहना है कि इस तरह के कामों के लिए सामाजिक और धार्मिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए सरकार को धार्मिक और सामाजिक संगठनों को साथ लेकर जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक मजबूत कार्य योजना बनानी चाहिए। 
उनका कहना है कि उनके संगठन की तरफ से पहले से ही महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है। मुस्लिम समाज में इसको लेकर काफी जागरूकता आई है। समाज का एक बड़ा हिस्सा परिवार नियोजन के उपायों पर अमल कर रहा है। इसके अच्छे परिणाम भी सामने आ रहे हैं। अब देखने में आ रहा है कि अधिकांश परिवार दो बच्चों तक ही सिमट रहे हैं। हालांकि यह आंकड़ा शिक्षित परिवारों में अधिक है लेकिन अगर सरकार लोगों के फायदे से जुड़ी योजनाएं लाती है तो गरीब और अशिक्षित परिवार भी इसका लाभ प्राप्त करने के लिए आगे आएंगे।

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