मनोज सिंह ठाकुर
झाबुआ। सूखे की मार झेल रहे जिले के किसानों की मुसीबतें कम नहीं हो पा रही हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ, आलिराजपुर, धार, बडवानी आदि जिलो में बारिश ने होने से किसानों की चेहरे पर चिंता की लकीर दिखायी देने लगी है।
इन क्षेत्रों में इस साल जून माह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक में अवर्षा के चलते किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरे खिंच गई है। जिन किसानों ने बोवनी कर दी थी उन्हे फिर से बोवनी करना पडेगी। वर्षा नहीं होने से इन जिलों में गर्मी व उमस से बुरा हाल है। दोनों तापमानों में बढोत्तरी होती है। जलाशयों में पानी खत्म हो रहा है व हेंडपंम्प सूख गये है। कई जगहों पर लोग पानी के लिये दूर दराज भटक रहे है तो कई जगहों पर टेंकरों से जल सप्लाय किया जा रहा है।बारिश के लिये आदिवासीयों व किसानों ने टोने टोटके भी करना प्रारंभ कर दिया है, जिसके चलते जिंदा आदमी की अर्थी निकाली जा रही है तो वहीं आदमी को गधे पर उल्टा बिठाकर ढोल ढमाकों से उसकी सवारी भी नगर में निकाली जा रही है। ऐसा वाक्या विगत दिनों पेटलावद तहसील के ग्राम झकनावदा में देखने को मिला।
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