नई दिल्ली/ वाशिंगटन डीसी। भारत और अमेरिका सुरक्षा, रक्षा, आतंक पर लगाम, अफगानिस्तान में शांति, चार देशों के समूह क्वाड, कोराना महामारी और जलवायु परिवर्तन समेत कई क्षेत्रों में सहयोग और बढ़ाएंगे। अपने पहले भारत दौरे पर 27 जुलाई को नई दिल्ली आ रहे अमेरिकी विदेशमंत्री एंटनी ब्लिंकन के एजेंडे में ये मुद्दे प्राथमिकता में हैं।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, ब्लिंकन का यह दौरा 28 जुलाई तक रहेगा। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मिलेंगे। दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत बनाने पर चर्चा होगी, जिसका दायरा बेहद व्यापक होगा। इस चर्चा में स्थानीय के साथ-साथ वैश्विक मुद्दे भी अहम होंगे। दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के कार्यवाहक सहायक मंत्री डीन थॉम्पसन के मुताबिक, हमारे भारतीय साझीदार के साथ सुरक्षा, रक्षा, साइबर और आतंकवाद के खिलाफ लगाम पर सहयोग को बढ़ाने जाने पर चर्चा होगी।उन्होंने कहा, हम इन मुद्दों पर सरकार के साथ सहयोग करते हैं। इनमें नियमित रूप से होने वाली अमेरिका-भारत कार्य समूह की बैठकें भी शामिल हैं। हम एक सुरक्षित और अधिक सुदृढ़ दुनिया सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा, हमारे क्षेत्रीय मसलों में हम अफगानिस्तान में एक न्यायसंगत और स्थायी शांति का समर्थन करने के अपने प्रयासों पर चर्चा करने का इरादा रखते हैं। थॉम्पसन ने कहा कि भारत निश्चित रूप से इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है और अमेरिका अफगानिस्तान में शांति और आर्थिक विकास को समर्थन देने के लिए भारत की साझा प्रतिबद्धता का स्वागत करता है।
थॉम्पसन के मुताबिक, ब्लिंकन और रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन भारतीय विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री को सालाना होने वाली अमेरिका-भारत 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के लिए न्योता देंगे। हालांकि, इस वार्ता का क्या एजेंडा होगा, इसके बारे में नहीं बताया।
थॉम्पसन ने कहा, क्षेत्र में सभी पड़ोसी देशों के हित एक स्थिर, सुरक्षित और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान में ही हैं। इस मकसद को बातचीत के जरिये एक राजनीतिक समझौते से ही पाया जा सकता है, जो अफगानिस्तान के 40 वर्षों के संघर्ष को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाएगा। गौरतलब है कि अफगानिस्तान की सीमाएं पाकिस्तान से भी लगती हैं, जहां तालिबान आतंकी हमलों के लिए प्रशिक्षण लेते रहते हैं।
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