अखिलेश पांडेय
वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में सीनेट ने श्रम विभाग के सॉलिसीटर के रूप में भारतवंशी नागरिक अधिकार वकील सीमा नंदा के नाम की पुष्टि की है। डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी की पूर्व सीईओ नंदा (48) बराक ओबामा प्रशासन के दौरान श्रम विभाग में सेवाएं दे चुकी हैं। सीनेट ने बुधवार को 46 के मुकाबले 53 वोट से उनके नाम की पुष्टि की।
कांग्रेशनल एशिया पैसिफिक अमेरिकन कॉकस की अध्यक्ष जूडी चू ने नंदा के नाम पर सीनेट से मंजूरी मिलने की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा,श्रम विभाग के सॉलिसीटर के रूप में सेवा देने के लिए नाम की पुष्टि होने पर सीमा नंदा को बधाई देते हुए मुझे खुशी हो रही है। चाहे वह कोरोना वायरस का खतरा हो, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता तापमान हो या विवेकहीन नियोक्ता हों, कर्मियों को हर दिन मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
यही कारण है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने नंदा के अनुभवों को देखते हुए उन्हें श्रम विभाग के सॉलिसीटर के रूप में चुना है।
जूडी चू ने कहा, ”उनका कार्यालय कानूनी लड़ाइयों और चुनौतियों से लड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। मैं जानती हूं कि श्रम विभाग के पूर्व मंत्री टॉम पेरेज के नेतृत्व में उप सॉलिसीटर और चीफ ऑफ स्टाफ के तौर पर सेवा दे चुकीं सीमा कामगारों के अधिकारों और संवेदनशील वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए उपयुक्त होंगी।
नंदा ओबामा-बाइडन प्रशासन में अमेरिकी श्रम विभाग में चीफ ऑफ स्टाफ, डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ और उप सॉलिसीटर के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं। इससे पहले वह श्रम एवं रोजगार अटॉर्नी के रूप में, ज्यादातर सरकारी सेवाओं में 15 साल तक विभिन्न भूमिकाओं में सेवा दे चुकी हैं।
नंदा अमेरिकी न्याय विभाग के नागरिक अधिकार खंड (अब प्रवासी एवं कर्मचारी अधिकार अनुभाग कार्यालय) का नेतृत्व कर चुकी हैं। विभाग में उन्होंने नेशनल लेबर रिलेशंस बोर्ड में डिविजन ऑफ एडवाइस में सुपरवाइजर अटॉर्नी के रूप में सेवा दीं। वह सीएटल में एक निजी कंपनी में एसोसिएट भी रही हैं।
नंदा वर्तमान में हारवर्ड लॉ स्कूल के लेबर एंड वर्कलाइफ प्रोग्राम में फेलो हैं। वह कनेक्टिकट में पली बढ़ी हैं और उन्होंने ब्राउन यूनिवर्सिटी और बोस्टन कॉलेज लॉ स्कूल से स्नातक किया है।
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