अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में छह मरीजों में कोरोना वायरस की जांच में संक्रमित पाए जाने के 20 से 30 दिन के भीतर साइटोमेगलोवायरस (सीएमवी) संक्रमण का पता चला है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि अपोलो में भर्ती किए गए इन सभी मरीजों को पिछले महीने कोविड के कारण गंभीर निमोनिया हो गया था।उन्हें स्टेरॉयड की बहुत ज्यादा खुराकें दी गईं थीं और सीएमवी बीमारी का पता चलने के दौरान वे कोविड नेगेटिव हो गए थे।साइटेमेगलोवायरस संक्रमण आम हर्रपीज वायरस का संक्रमण है जिसमें कई लक्षण नजर आते हैं : कोई लक्षण नहीं दिखने से ले कर बुखार और थकान से लेकर गंभीर लक्षण जो आंखों, दिमाग या अन्य आंतरिक अंगों को प्रभावित करते हैं। साइटोमेगलोवायरस (सीएमवी) बीमारी अकसर उन मरीजों में दिखने को मिलती है। जिनकी प्रतिरक्षा तंत्र पहले से ही कमजोर होता है।
जैसे एचआईवी, कम सीडी4 संख्या, या कैंसर ट्रांसप्लांट मरीज जिन्हें प्रतिरक्षा तंत्र दबाए रखने की दवा दी जाती है।कोविड-19 के कारण प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर पड़ जाने और स्टेरॉयड दिए जाने से सीएमवी को मरीजों को हमला करने का मौका मिल जाता है। यह वायरस वैसे अंतर्निहित प्रतिरक्षा के कारण 80 से 90 प्रतिशत भारतीय आबादी में मौजूद रहता है। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में कंसल्टेंट (रेस्पिरेटरी, क्रिटिकल केयर और स्लीप मेडिसिन) डॉ अतहर अंसारी ने कहा, “पिछले महीने, हमने कोविड-19 बीमारी के बाद छह मरीजों में सीएमवी बीमारी का पता लगाया था जो विभिन्न स्वरूपों के साथ सामने आया।सीएमवी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हो रहा है। अगर यह सीधे फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है तो मरीज को बुखार होगा, सांस लेने में दिक्कत होगी, सीने में दर्द या खांसी होगी।
” उन्होंने बताया कि कोविड-19 की जांच में संक्रमित पाए जाने के 20-30 दिन बाद मरीजों में फेफड़े और जिगर में सूजन- हाइपोक्सिया और इनमें से एक में मेलोइड ल्यूकेमिया भी देखा गया। अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवधेश बंसल ने कहा कि इन मरीजों में सीएमी वायरस सक्रिय होने का कारण कोविड-19 के कारण प्रतिरक्षा तंत्र का कमजोर होना और स्टेरॉयड थैरेपी की उच्च डोजा देना हो सकता है।
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