बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिगृहीत जमीन का मुआवजा तीन भाईयों को बराबर-बराबर देने के बाद निर्माण के मुआवजे का एक भाई के दावे पर अन्य दो भाइयों को जारी वसूली नोटिस पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने निर्माण पर अकेले का दावा करने वाले विपक्षी भाई को नोटिस जारी कर 23 अगस्त तक जवाब मांगा है। कोर्ट ने राज्य सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से भी जवाब मांगा है। सुनवाई 23 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने वकील व अन्य की याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि उनके पिता जहीर की मौत के बाद सम्पत्ति तीनों भाइयों को बराबर-बराबर हिस्सा मिला। यह सम्पत्ति मेरठ-बुलंदशहर राजमार्ग पर पटना सेल गांव में है। जमीन सड़क चौड़ीकरण में अधिगृहीत की गई है। सबको उचित मुआवजा मिल गया है। एक भाई ने अधिकारियों को अर्जी दी और कहा कि निर्माण अकेला उसका है। इस कारण मुआवजा उसे ही मिलना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि स्वामित्व विवाद तय करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है। अधिकार का अतिलंघन करते हुए विपक्षी अधिकारी ने एक पक्षीय आदेश जारी किया है। अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण आदेश अवैध है। जिस पर कोर्ट ने वसूली आदेश पर रोक लगाते हुए जवाब मांगा है।
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