वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से पूछा गया कि अमेरिका और तमाम सहयोगियों के बीच में काफी मतभेद है। ऐसे में चीन के खिलाफ सब एकजुट कैसे हो सकते हैं ? इस सवाल का जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीयन देशों के बीच काफी जटिल संबंध रहे हैं। जिसे एक शब्द में साधारण तरीके से बयां नहीं किया जा सकता है। लेकिन, महत्वपूर्ण क्या है कि हमारे संबंध एक दूसरे के खिलाफ हैं। हमारे संबंध प्रतिस्पर्धी हैं या फिर हमारे संबंध सहयोगात्मक है और इन्हीं से चीन के ऊपर असर पड़ सकता है कि हम चीन को लेकर कौन सा कदम उठा रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री का ये बयान उस वक्त आया है। जब जी-7 और नाटो ने मानवाधिकार उल्लंघन समेत हांगकांग और शिनजिंयाग के मुद्दे पर चीन की कड़ी आलोचना की थी।
अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा, कि अमेरिका का मकसद चीन को पीछे धकेलने का बिल्कुल भी नहीं है।अमेरिका सिर्फ स्वतंत्र और पारदर्शी सिस्टम चाहता है।जिसकी स्थापना दूसरे विश्वयुद्ध के बाद की गई थी। एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि 'मैं इसपर पूरी तरह से साफ करना चाहता हूं कि हमारा मकसद चीन को पीछे धकेलने का बिल्कुल भी नहीं है और हमारी कोई नीति चीन के खिलाफ नहीं है। हमारा मकसद एक स्वतंत्र और पारदर्शी सिस्टम बनाने का है।
जो कानून के आधार पर हो। जिसे फ्रांस और अमेरिका ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद तैयार किया था और जिसे खुद अमेरिका मानता है।' उन्होंने कहा कि 'अगर हमारे पास सिस्टम ना हो। जहां पर हर देश एक कानून के हिसाब से कदम उठा सकें। एग्रीमेंट्स का जहां पर सम्मान हो तो हम युद्ध की दिशा में आगे बढ़ जाएंगे।' आपको बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्री इन दिनों यूरोप के दौरे पर है। जहां वो इटली के नेताओं से मुलाकात कर रह हैं। इसके अलावा वो पोप फ्रांसिस, जी-20 लीडर्स और अलग अलग मंत्रियों से मुलाकात करने वाले हैं।
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