अविनाश श्रीवास्तव
पटना। कोरोना वायरस संक्रमण से बच्चों के बचाव की तैयारी की जा रही है। स्वदेश निर्मित कोवैक्सीन के टीके के बच्चों में परीक्षण के लिए, यहां के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार से दो वर्ष के बच्चे से 18 साल तक के किशोर की जांच शुरू हो गई।
पटना स्थित एम्स में बच्चों में यह पता लगाने के लिए परीक्षण शुरू हो गया है कि क्या भारत बायोटेक के टीके बच्चों के लिए ठीक हैं ? जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों को टीके लगाए जाएंगे। यह परीक्षण 525 स्वस्थ बच्चों पर किया जाएगा जिसके तहत बच्चों को टीके की दो खुराकें दी जाएगीं। इनमें से पहली खुराक के 28वें दिन दूसरी खुराक दी जाएगी। एम्स के ‘सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन’ के प्रोफेसर डॉ. संजय राय ने कहा, ‘‘कोवैक्सीन के परीक्षण के लिए बच्चों की जांच शुरू कर दी गई है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बच्चों को टीके की खुराक दी जाएगी।’’ भारत के दवा नियामक ने कोवैक्सीन का दो साल के बच्चे से ले कर 18 साल की उम्र के किशोरों पर परीक्षण करने की मंजूरी 12 मई को दे दी थी। देश में टीकाकरण अभियान में वयस्कों को कोवैक्सीन के टीके लगाए जा रहे हैं।
सरकार ने पिछले सप्ताह आगाह किया कि कोरोना वायरस संक्रमण का अभी तक भले ही बच्चों में गंभीर प्रभाव नहीं हुआ है, लेकिन वायरस के व्यवहार में परिवर्तन होने पर उनमें इसका प्रभाव बढ़ सकता है । इसके साथ ही सरकार ने कहा कि इस तरह की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयारी जारी है। निति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बच्चों में संक्रमण की समीक्षा करने और इससे नई तैयारियों के साथ निपटने के लिए एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस समूह को ऐसे लक्षणों की जांच की है, जो चार-पांच माह पहले नहीं थे। इस दल ने मौजूद आंकड़े, बीमारी के आयाम, वायरस की प्रकृति सहित तमाम चीजों पर गौर किया है और इसके आधार पर नए दिशा निर्देश बने हैं जो शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।
पॉल से पूछा गया कि अगर फाइजर का टीका भारत आ जाता है तो क्या 12 से 15 वर्ष की उम्र के बच्चों को इसे लगाया जा सकता है, जैसा कि ब्रिटेन में हो रहा है ? इस पर पॉल ने कहा था कि देश के पास अपने टीके हैं और उन्हें ही बच्चों के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा,‘‘बच्चों की आबादी कोई कम नहीं है। मेरे अनुमान के मुताबिक, 12 से 18 वर्ष के बीच आयु वर्ग के बच्चों की संख्या 13 से 14 करोड़ है और इसके लिए हमें टीके की 25-26 करोड़ खुराकें चाहिए होंगी।’’ उन्होंने यह भी कहा कि जायडस कैडिला के टीकों का बच्चों पर परीक्षण शुरू हो चुका है।
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