बृजेश केसरवानी
प्रयगराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दूसरे पुरूष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही शादी-शुदा औरत को संरक्षण देने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा कि याची ने अपने पति के खिलाफ न तो तलाक का केस किया है और न ही घरेलू हिंसा कानून या भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों की शिकायत दर्ज करायी है। ऐसे में पति द्वारा प्रताड़ित करने के आधार पर पति से सुरक्षा की गुहार लगाना बेमानी है। कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने श्रीमती सुरभि की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसका पति समाज विरोधी क्रिया-कलापों में लिप्त है, जिससे परेशान होकर उसने घर छोड़ दिया और वह दूसरे पुरूष मोहित के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है। पति से उसे खतरा है। उसने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन से शिकायत भी की है। कहा गया था कि पति से उसे सुरक्षा दी जाये।
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