संदीप मिश्र
बरेली। कच्चे माल के दाम में लगातार बढ़ रही महंगाई से बरेली की खास पहचान बांस और बेंत का कारोबार बंदी की कगार पर पहुंच गया है। बाजार में बढ़ते सस्ते लकड़ी और स्टील के बने सस्ते उत्पादों के सामने बरेली में बांस से बना सजावटी सामान का कारोबार धीरे-धीरे दम तोड़ रहा है। बरेली शहर झुमके और सुरमा के साथ बांस कारोबार के लिए भी जाना जाता है। मगर मौजूद समय में बरेली के बांस की कारीगरी की चमक फीकी पड़ती जा रही है। बाजारों में लकड़ी और स्टील के बने सामान सस्ते में मिल जाते हैं। जिसके चलते बांस और बेंत से बने उत्पाद लोग ज्यादा नहीं खरीदते हैं। एक फर्नीचर बनाने में आठ दिन लग जाते हैं, इसलिए कीमत भी ज्यादा रहती है।
करीब पांच साल पहले बांस और बेत से बने सोफा सेट, रैक, कुर्सी, स्टूल, डाइनिंग टेबल, शीशा, फ्रेम, झूला आदि कई चीजों की मांग रहती थी। शहर से हर माह करीब 1 हजार गाड़ी माल बाहर भेजा जाता था। यह माल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मुबई आदि जगह जाती थी। मगर अब 100 से 200 ही गाड़ी ही जा पा रही है। बेंत और बांस के काम से जुड़े लोगों का कहना है, पिछले पांच साल में 30 कारखाने बंद हो चुके है। कच्चे माल की बढ़ती कीमतों को बड़ी समस्या भी काम की मंदी की मेन वजह है। कारखाना संचालक इश्हाक का कहना है कि सामान को जितने दाम में खरीदते है। उतने में मेहनताना भी नहीं मिल पता है।
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