गुरुवार, 24 जून 2021

सैकड़ों केंद्र आधे कर्मचारियों से चला रहे हैं काम, पद

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। लंबे अरसे से नियुक्तियां न होने के कारण देश भर में फैले दूरदर्शन और आकाशवाणी के सैकड़ों केंद्र आधे कर्मचारियों से काम चला रहे हैं। इस समय दूरदर्शन में 10,247 जबकि आकाशवाणी में 12,086 पद रिक्त हैं। दूरदर्शन में ग्रुप ए के 1,116 पदों के मुकाबले केवल 494 कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है, जबकि 622 पद रिक्त हैं। इसी प्रकार बी ग्रुप में 4,183 कर्मचारियों की जगह 2,112 कर्मचारी काम कर रहे हैं। 
यानी 2071 कर्मचारियों की कमी है। यही हाल ग्रुप सी का है जिसमें 16,401 स्वीकृत पदों में से 7,554 पद खाली होने से मात्र 11,453 कर्मचारियों पर सारे काम का बोझ है। इस तरह बेरोजगारी के इस दौर में दूरदर्शन में 21,700 कर्मचारियों का काम 11,451 कर्मचारियों को करना पड़ रहा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार 2002-03 से 2008-09 के बीच दूरदर्शन के 2,038 पदों को समाप्त कर चुकी है।यही हाल ग्रुप सी का है जिसमें 16,401 स्वीकृत पदों में से 7,554 पद खाली होने से मात्र 11,453 कर्मचारियों पर सारे काम का बोझ है। इस तरह बेरोजगारी के इस दौर में दूरदर्शन में 21,700 कर्मचारियों का काम 11,451 कर्मचारियों को करना पड़ रहा है।
यह स्थिति तब है जब सरकार 2002-03 से 2008-09 के बीच दूरदर्शन के 2,038 पदों को समाप्त कर चुकी है। जहां तक आकाशवाणी का प्रश्न है तो यहां 26,129 स्वीकृत पदों के एवज में सिर्फ 14,043 लोग नौकरी पर हैं। इनमें ग्रुप ए के 2,002 पदों के एवज में 800 कर्मचारी काम कर रहे हैं जबकि 1,202 की जगह खाली पड़ी है। ग्रुप बी में 4,928 पद रिक्त होने से 12,056 कर्मचारियों का बोझ 7128 मुलाजिमों पर है। जबकि ग्रुप सी में 26,129 मंजूर पदों के बजाय महज 14,043 का स्टाफ काम कर रहा है। ग्रुप सी में 12,086 पद नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं। दूरदर्शन और आकाशवाणी में कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर सरकार कई बार सर्वे करवा चुकी है। इस संबन्ध में दो समितियों का गठन भी किया जा चुका है। पहली समिति 2014 में सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में बनी बनाई गई थी। उसकी सिफारिशों को स्वीकार भी कर लिया गया था। लेकिन थोड़ी-बहुत खानापूरी के अलावा कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसी अर्न्स्ट एंड यंग को स्टाफ की आवश्यकता का नए सिरे से अध्ययन करने को कहा गया। इसकी रिपोर्ट भी पिछले साल सितंबर में मंजूर की जा चुकी है। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी वास्तविक प्रगति का इंतजार है। दूरदर्शन और आकाशवाणी में रिक्तियों के मसले को संसदीय समिति भी सरकार के समक्ष उठा चुकी है। लेकिन इस बात का कोई स्पष्ट जवाब उसे भी नहीं मिला है कि आखिर इस समस्या का समाधान कैसे और कब तक होगा। देश में अभी दूरदर्शन के किसान चैनल समेत 36 सेटेलाइट चैनल काम कर रहे हैं जिनमें 7 राष्ट्रीय, 1 अंतरराष्ट्रीय तथा 28 क्षेत्रीय चैनल हैं। जबकि सरकार जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख जैसे संवेदनशील इलाकों समेत सभी दूरदर्शन केंद्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार एवं आधुनिकीकरण करने में जुटी है। इसी प्रकार आकाशवाणी के 485 केंद्र हैं, जिनके जरिये 22 भाषाओं तथा 181 बोलियों के साथ 506 एफएम चैनलों तथा 129 मीडियम वेव चैनलों का प्रसारण किया जा रहा है।

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