अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नियमित जमानत संबंधी याचिका के सूचीबद्ध नहीं होने से हिरासत में बंद व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। न्यायालय ने इसके साथ ही जोर दिया कि मौजूदा कोविड-19 महामारी के बीच कम से कम आधे न्यायाधीशों को वैकल्पिक दिनों में बैठना चाहिए ताकि संकट में फंसे लोगों की सुनवाई हो सके। कोर्ट ने कहा कि जमानत से इनकार करना स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर एक जमानत याचिका के एक साल से भी अधिक समय तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किए जाने पर 'हैरत' जताते हुए कहा कि सुनवाई से इनकार करना किसी आरोपी के अधिकार और स्वतंत्रता का हनन है।
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