अपुष्ट सूत्रों के अनुसार सरकारी आंकड़ों में कोरोना से हुई मौतों का कारण यह था कि जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने संबन्धित विभागों के अधिकारियों को मौतें दर्ज न करने के मौखिक आदेश दिए हुए थे। इतना ही नहीं गाज़ियाबाद के हर अस्पताल को तथाकथित रूप से मौखिक आदेश था कि कोरोना संक्रमण से हुई किसी भी मौत की घोषणा बिना जिलाधिकारी की सहमति के न की जाए। इस बीच मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने घोषणा कर दी कि कोरोना संक्रमण से अनाथ हुए बच्चों की परवरिश के लिए उसके संरक्षक को बच्चे के पालन पोषण के लिए हर महीने 4 हजार रुपए महीना दिया जाएगा। दुर्भाग्य से गाज़ियाबाद के जिलाधिकारी के तानाशाही रवैये के चलते अधिकतर मौतों को सरकारी आंकड़ों में दर्ज ही नहीं किया गया। ऐसे में आप उस अवयस्क बच्चे से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वह यह सिद्ध कर पाए कि उसके संरक्षक या घर में कमाने वाले सदस्य कि मौत कोरोना संक्रमण से हुई थी?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गाज़ियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय का ट्रांसफर हो गया है। ऐसे में हमारा अनुरोध है कि जिलाधिकारी महोदय, आपके लंबे कार्यकाल में आप ने कोई अच्छा काम किया हो या न किया हो, यह बहस का विषय है। किन्तु कम से कम जाते-जाते तो गाज़ियाबाद का भला करते जाइए। कम से कम गाज़ियाबाद कि जनता को यह बताते जाइए कि कोरोना संक्रमण से मरने वालों की वास्तविक संख्या क्या है? आपके इस एक कदम से जिले के सैकड़ों परिवारों का भला होगा।
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