मुरूगन ने कई ऐसे मंदिर बताए जहां विभिन्न जाति के लोग पहले से पुजारी का काम कर रहे हैं। वह जाहिर तौर पर यह संकेत दे रहे हैं कि प्रस्ताव पूरी तरह से नया नहीं है। उन्होंने एक बयान में कहा, “हम लोगों को याद दिलाना चाहते हैं कि प्राचीन काल से हमारी तमिल संस्कृति में हमारे मंदिरों में अलग अलग जातियों के लोग और महिलाएं पुजारी रहे हैं। शनिवार को बाबू ने कहा था कि कई महिलाओं ने मंदिर में पुजारी के तौर पर सेवा देने की इच्छा व्यक्त की है और उन्हें इस पद पर ‘आगम शास्त्रों’ में प्रशिक्षित किए जाने के बाद नियुक्त किया जा सकता है और मामले को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के संज्ञान में लाया गया है। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के सभी समाजों से संबंध रखने वालों लोगों को जल्द ही मंदिरों में पुजारी नियुक्त किया जाएगा।
विभिन्न हिंदू संगठनों में अलग अलग पदों पर काम कर चुके राम रविकुमार ने सभी जातियों के लोगों को पुजारी के पद पर नियुक्त करने के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए महिलाओं को पुजारी नियुक्त करने का विरोध किया है और इसे परंपरा के खिलाफ बताया है। आरएसएस की हिंदू मुनानी समेत कई संगठनों से जुड़ रहे और हिंदू तमिझर कटची के मुख्य संस्थापक रवि कुमार ने कहा, “ अगर आप आज यह स्वीकार कर लेते हैं तो कल वे सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश देने की मांग करेंगे और इसका कोई अंत नहीं होगा तथा आखिर में अव्यवस्था होगी।
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