गौतम गंभीर ने अप्रैल में एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि उनके कार्यालय से मरीज फेबीफ्लू दवा ले जा सकते हैं। मरीजों को अपने साथ डॉक्टर का पर्चा और आधार कार्ड लेकर आना होगा। गंभीर के अलावा आम आदमी पार्टी विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार ने भी कोरोना की दवाओं और सिलेंडरों की खरीद की थी। ये उस वक्त किया गया, जब देशभर में इन दवाओं की किल्लत चल रही थी। इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर को जांच के आदेश दिए थे।
गंभीर ने कहा था- आखिरी सांस तक दिल्ली की सेवा करूंगा
गौतम गंभीर ने कहा था कि उनकी फाउंडेशन के अभिनेता अक्षय कुमार से एक करोड़ रुपए का डोनेशन मिला है। इनसे वो कोरोना मरीजों की सेवा करूंगा। जब हाईकोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने दो चीजों पर नाराजगी जताई थी। पहली गंभीर को क्लीन चिट देने पर और दूसरा गंभीर के उस बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि वो दोबारा ऐसा करेंगे और आखिरी सांस तक दिल्ली की सेवा करूंगा।
ड्रग कंट्रोलर ने फाउंडेशन को नोटिस भेजकर मांगा था जवाब
ड्रग कंट्रोलर ने अपनी जांच के बाद कहा था कि गंभीर फाउंडेशन ने 2349 फेबी फ्लू की स्ट्रिप खरीदी हैं। इसके अलावा 120 ऑक्सीजन सिलेंडर भी खरीदे गए थे, जिन्हें अधिकृत डीलरों द्वारा भरवाया गया था। दवाओं का मरीजों में मुफ्त वितरण किया गया था।
इसके बाद गंभीर फाउंडेशन को नोटिस भेजकर पूछा गया था कि उन्होंने फेबीफ्लू कहां से खरीदी और क्या उन्होंने इसके लिए किसी अधिकृत संस्थान से मंजूरी ली थी? हाईकोर्ट से ड्रग कंट्रोलर ने कहा था कि गंभीर फाउंडेशन के खिलाफ इस तरह से दवा की जमाखोरी के मामले में कार्रवाई की जाएगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.