चंडीगढ़। गत दिवस हरियाणा सरकार ने कई दर्जन आईएएस अधिकारियों के नियुक्ति एवं तबादले किए। यह सरकार का विशेष अधिकार है। किस-किस अधिकारी को कहाँ नियुक्त करना है। परंतु एक बात कहना अतिअवश्यक है कि जब किसी आईएएस या अन्य अधिकारी को जिले की कमान सौंपी जाती है।उसको डीसी जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया जाता है। उस समय शायद अधिकारी की कार्यप्रणाली, ईमानदारी व कर्तव्य परायणता के बारे जरूर जांच पड़ताल की जाती होगी।
परन्तु ऐसा क्या होता है कि कुछ ही महीनों की बात आईएएस अधिकारी को बदल दिया जाता है? क्या नियुक्ति से पहले जो अधिकारी की रिपोर्ट ली जाती है वह सत्य नही होती? क्या डीसी जैसे अहम पद पर आईएएस अधिकारी कुछ ही समय मे भ्रष्ट हो जाता है, तो यह गलती उस रिपोर्ट बनाने वाले की है ? यदि अधिकारी कर्तव्यपरायणता, ईमानदारी व लग्न से काम नही करता तो उसे सिर्फ बदलना ही नही चाहिए बल्कि उसकी विभागीय जांच करवानी चाहिए। यदि सरकार रूटीन कार्य समझ कर तबादला करती है तो वह अशोभनीय है।
क्योंकि जब तक अधिकारी को जिले की भगोलिक स्तिथि समझ आती है या वह जिले में विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार होता हैं तो उसको बदल दिया जाता है। इसके कारण जिले में विपरित असर पड़ता है विकास रुक जाता है। आने वाला नया अधिकारी क्या पहले वाले अधिकारी द्वारा तैयार स्कीमो को लागू करेगा। यदि नही करता तो यह जिले का हर तरह से नुकसान होगा। इसलिए हमारा मानना है की अधिकारी किसी भी स्तर का हो उसको कम से कम एक वर्ष तक एक ही पोस्ट पर लगाये रखना चाहिये। उसके बाद यदि अधिकारी में कोई कमी पाई जाती है तो सरकार को उस अधिकारी के खिलाफ कठोर निर्णय भी लेना चाहिए।
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