बुधवार, 23 जून 2021

सरकार के स्वास्थ्य सचिव को कड़ी फटकार: एचसी

पंकज कपूर            
नैनीताल। कोरोना करीब डेढ़ साल से लोगों की जान ले रहा है। वायरस का नया म्यूटेंट डेल्टा प्लस भी देश में दस्तक दे चुका। जिसके कारण संभावित तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। मगर सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं है कि अभी तक मुकम्मल नहीं हो सकी हैं। बुधवार को हाई कोर्ट ने इसी मुद्दे पर सरकार के स्वास्थ्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा डेल्टा वैरिएंट एक महीने में पूरे देश में फैल गया था और डेल्टा प्लस वैरिएंट को तीन महीने भी नहीं लगेंगे? फिर भी हमारे बच्चों को बचाने के लिए आप लोग क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा आप सोच रहे हैं कि डेल्टा प्लस वैरियंट कहेगा कि चलिए पहले सरकार तैयारी कर पूरी ले, फिर वह अटैक करेगा।
कोरोना को लेकर दाखिल की गईं अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वास्थ्य सचिव के तीसरी लहर को लेकर बच्चों के लिए तीन महीने तक विटामिन सी और जिंक आदि की दवाएं देने की दलील पर तीखी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने कहा कि आप बच्चोें को ये दवा कब खरीद कर देंगे? जब तीसरी लहर आ जाएगी, तब दवाएं खरीदने की प्रकिया पूरी करेंगे। जिस जीओ को अगले हफ्ते या 30 जून तक जारी करने की बात कह रहे है।
 वह जीओ कल क्यों नहीं जारी हो सकता या आज शाम पांच बजे तक जारी क्यों नहीं हो सकता? हाई कोर्ट ने कहा कि जब महामारी में वॉर फूटिंग पर काम करने की ज़रूरत है, तब आप लोग ब्यूरोक्रेटिक बाधा पैदा कर काम को बोझिल कर देरी कर रहे हैं।
कोरोना पर उत्तराखंड सरकार के इंतजामों से हाई कोर्ट सख्त नाराज, यहां तक कह डाला। हाई कोर्ट ने कहा कि देहरादून में तीसरी लहर से लड़ने को बच्चों के लिए आपके पास 10 वेंटिलेटर हैं। बताइये 80 बच्चे क्रिटिकल हो गए तो 70 बच्चों को मरने के लिए छोड़ देंगे? कोर्ट ने कहा कि एफिडेविट में आपने माना है कि रुद्रप्रयाग में 11 वेंटिलेटर हैं, जिसमें नौ ख़राब हैं। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोर्ट ने सिर्फ़ ज़िला अस्पतालों की डिेटेल मांगी थी, हमारे पास मेडिकल कॉलेजों व निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर-आईसीयू के और इंतज़ाम हैं। इस पर कोर्ट ने कहा आपको जानकारी देने से किसने रोका है? हाईकोर्ट ने कहा कि क्या जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे आंखों के सामने मरने लगेंगे, तब सरकार की तैयारियां होंगी? 
बच्चों के लिए कितने वार्ड बनाए हैं आपने अब तक? स्वास्थ्य सचिव ने कहा अगली सुनवाई के दौरान बता पाएंगे कि कितने वार्ड तैयार हो पाएंगे। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में ट्रीटमेंट देंगे जो मॉडरेट और माइल्ड केस होंगे, उन्हीं को ज़िला अस्पतालों में उपचार के लिए रखेंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि टाइमफ्रेम के साथ तैयारियों का स्तर बताइए। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में डेल्टा प्लस वैरियंट केस आ चुके, आपकी तैयारियां कहां पहुंची? आप तैयारियों को लेकर समय बताएं कि कब तक क्या करेंगे? आपके पास पांच मेडिकल कॉलेज हैं तो बाक़ी जिलों के बच्चों का क्या होगा?
उदाहरण के लिए बताइए बागेश्वर और पिथौरागढ़ के बच्चों के लिए क्या करेंगे? चीफ़ जस्टिस ने कहा कि मान लीजिए मैं पैरेंट हूं और बागेश्वर में रहता हूं, रात्रि को अपने बच्चे को लेकर कहां पहाड़ों में भागूंगा ? स्वास्थ्य सचिव ने कहा कोरोना हार्ट अटैक जैसी बीमारी नहीं। पहले बुखार होगा, दूसरे सिम्पटम आएंगे, फिर ज़िला अस्पताल से लेकर सुशील तिवारी हॉस्पिटल कर लाया जा सकता है। इस पर कोर्ट ने एफिडेविट का पेज 41 पढ़ने को कहकर बच्चों को होने वाली सिवियरिटी पढ़ लेने को कहा। चीफ़ जस्टिस ने कहा मान लीजिए मेरे बच्चे को एक्यूट रेसपेरिटरी डिजिज है और चमोली में रहता हूं। 
बताइये कहां लेकर जाऊंगा। कोर्ट ने कहा आपका पर्याप्त एंलेंस का दावा झूठा है। दिल्ली-फ़रीदाबाद में एंबुलेंस नहीं मिली और आप कहते हैं आपके पास उत्तराखंड में पर्याप्त एम्बुलेंस हैं।

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