रवि चौहान
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना का वैक्सीन लगाने की मांग करने वाली याचिका पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार ने जब जस्टिस अमित बंसल की बेंच को बताया कि इस मामले पर विचार चल रहा है तब कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई भी आदेश देने की जरूरत नहीं है।
यह याचिका गर्भवती प्रियाली सुर ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील वसुधा जुत्शी ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना वैक्सीन देने के लिए केंद्र सरकार को दिशा-निर्देश देने चाहिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा और अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि इसे लेकर नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन (एनटीएजीआई) ने कई अनुशंसाएं की हैं। उन अनुशंसाओं को नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी कमेटी को भेज दिया गया है।
चेतन शर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के फैसले विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए। अनुराग अहलूवालिया ने एनटीएजीआई की बैठक के मिनट्स साझा करते हुए कहा कि इस बात के सुझाव दिए गए हैं कि गर्भवती महिलाओं को उनके नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर पर वैक्सीन दी जा सकती है। बैठक में ये भी सुझाव दिया गया कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन देने के पहले उन्हें वैक्सीन के नफा-नुकसान के बारे में भी बताया जाए। बैठक में इस बात का भी सुझाव आया कि गर्भवती महिलाओं पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन का असर जानने के लिए अध्ययन किया जाए। केंद्र सरकार की इस दलील के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस याचिका पर कोई आदेश देने की जरूरत नहीं है।
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