अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली/ बीजिंग। स्वदेशी कार्यकर्ता भले ही चीन के उत्पादों का विरोध कर रहे हो। मगर भारतीय योग विद्या को चीन ने गले लगा कर भारत को पीछे कर दिया है। पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के बाद से वहां अब तक 50 भारत-योग विद्यालय और अमेरिका में पहला योग विश्वविद्यालय भी खुल गया है। 100 से ज्यादा देशों में कई योग केंद्र, सर्टिफिकेट कोर्स भी चला रहे हैं। जबकि भारत में मोरारजी देसाई के नाम पर योग विश्वविद्यालय खुलना था, इस बार के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वविद्यालय का फीता नहीं काट पाएंगे।
योग की दयनीय स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र को खुली छूट दी हुई है।प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दौरान चीन के लोगों में भारतीय योग के प्रति काफी झुकाव देखा गया था क्योंकि दुनिया में भारत के बाद सबसे ज्यादा चीनी नागरिकों ने ही योग दिवस में हिस्सा लिया था। सन 2015 में चीन में अपने योग शिक्षक बनाने का फैसला लिया गया और यून्नान शहर में पहला योग कालेज खोला गया जिसका नाम भारत-चीन योग विद्यालय है।
इसके बाद वहां पर एक-एक करके अब तक 50 विद्यालय खुल चुके हैं जिनमें पोस्ट ग्रेजुएट स्तर की योग विद्या दी जाती है। चीन में 3 वर्ष के लिए पीजी कोर्स की पढ़ाई होती है जिसमें वहां के छात्रों को एक वर्ष के लिए भारत आना पड़ता है जो विभिन्न योग विद्यालयों मेइंटर्नशिप जैसी पढ़ाई करते हैं। इसी तरह अमेरिका में भी लास एंजिल्स शहर में स्वामी विवेकानंद योग विश्वविद्यालय खोला गया है जिसमें वहां की सरकार ने 50 लाख डॉलर खर्च किए थे। यहां भी पोस्ट ग्रेजुएट एवं पीएचडी की डिग्री दी जाती है। भारत में पहला योग विश्वविद्यालय बेंगलुरु में सन 2002 में स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान के नाम से खोला था। जिसके कुलाधिपति डॉ एच आर नागेंद्र हैं अमेरिकी योग विश्वविद्यालय का चेयरमैन भी डॉ नागेंद्र को बनाया गया है।
इस विश्वविद्यालय का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम से अमेरिका ने इसलिए रखा है क्योंकि वन 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में जो ऐतिहासिक उद्बोधन दिया था उसमें अध्यात्म और योग का भी काफी उल्लेख किया था। सरकारी स्तर पर भारत में योग को पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही बढ़ावा दिया और उन्हीं की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया था।
मगर यहां योग की हालत यह है कि देश की राजधानी दिल्ली में मोरारजी देसाई के नाम पर एक योग विश्वविद्यालय कई वर्षों से प्रस्तावित है मगर दो-तीन मंत्रालयों के बीच मामला फंसा हुआ है। अभी यह मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के नाम से इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के अधीन चल रहा है। सभी राज्यों के विश्वविद्यालयों से कहा गया था की डिग्री कॉलेजों में योग विज्ञान की पढ़ाई को अनिवार्य किया जाए एवं उनके विभाग खोले जाएं। लेकिन अभी 5 फीसद काम भी नहीं हुआ है। योग आयुष मंत्रालय व उसकी पढ़ाई शिक्षा मंत्रालय के अधीन है।
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