हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए समाजवादी पार्टी ने अब एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। प्रदेश की लगभग 40 से भी अधिक जिला पंचायत अध्यक्ष सीटों पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच आमने सामने का मुकाबला होता हुआ दिखाई दे रहा है।
अपने कई प्रत्याशियों के विरोधी पाले में चले जाने के बावजूद समाजवादी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव की जंग में पीछे रहने को तैयार नहीं है। अब बाकी बचे स्थानों पर समाजवादी पार्टी मजबूती के साथ अपने प्रतिद्वंदी को टक्कर देने में जुटी हुई है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद चुनाव की कमान आगे आते हुए खुद ही संभाल ली है।
वह बात अलग है कि अनेक स्थानों पर सपा जिलाध्यक्ष अपने जिला पंचायत सदस्यों को संभालकर नहीं रख पा रहे हैं। नाम वापसी के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव पूरी तरह से जोर पकड़ गया है। जिसके चलते समाजवादी पार्टी के मुखिया एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खुद चुनाव की कमान संभालने के लिए आगे आ गए हैं। चुनाव वाले जनपदों के प्रत्याशियों के पदाधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए वह निर्णय लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं। पार्टी के समर्थन से जीते पंचायत सदस्यों को समझा-बुझाकर एकजुट रहने का संदेश दिया जा रहा है। साथ ही उन्हें इस बात की प्रेरणा दी जा रही है कि वह किसी तरह के दबाव में ना आए।
सपा मुख्यालय में भी इस मुद्दे पर जनपदों के लोगों को बुलाकर सपा मुखिया द्वारा समस्याओं का समाधान कराया जा रहा है। विपक्ष में रहते हुए सबसे ज्यादा जिला पंचायत सदस्य जीतने को सपा अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है। ऐसे हालातों में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर अपने उम्मीदवार जिताने की समाजवादी पार्टी की ओर से कोशिश हो रही है। अब तक 30 से भी ज्यादा जनपदों में भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध चुने जा चुके हैं। इसके बावजूद समाजवादी पार्टी का आत्मविश्वास कम होता दिखाई नही दे रहा है। उसे उम्मीद है कि वह चुनाव वाले जनपदों की जंग में किसी तरह जीत हासिल करने लायक वोट प्राप्त करने में कामयाबी हासिल कर लेगी। प्रदेश के अधिकांश जनपदों में तो भाजपा व सपा समर्थित प्रत्याशियों के बीच सीधी जंग के हालात बने हुए हैं।
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