गुरुवार, 20 मई 2021

बिहार: ग्राम पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग

अविनाश श्रीवास्तव   
पटना। बिहार में कोरोना महामारी के बीच पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं दिख रहा है। अगले महीने 15 जून को पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में नीतीश सरकार 15 जून के बाद पंचायतों के संचालन की जिम्मेदारी अफसरों को देने की तैयारी कर रही है। लेकिन बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसका विरोध किया है। तेजस्वी ने 15 जून के बाद भी पंचायतों के संचालन की जिम्मेदारी मौजूदा निर्वाचित प्रतिनिधियों को देने की वकालत की है। तेजस्वी ने कहा है कि अगर निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक अधिकारी पंचायतों का जिम्मा सम्भालेंगे तो भ्रष्टाचार और तानाशाही बढ़ेगी। 
गुरूवार को बिहार के नेता प्रतिवाक्ष तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि "सरकार से माँग है कि कोरोना महामारी के आलोक में पंचायत चुनाव स्थगित होने के कारण आगामी चुनाव तक त्रिस्तरीय पंचायती प्रतिनिधियों का वैकल्पिक तौर पर कार्यकाल विस्तारित किया जाए, जिससे की पंचायत स्तर पर कोरोना प्रबंधन के साथ-साथ विकास कार्यों का बेहतर समन्वय के साथ क्रियान्वयन हो सके।" उन्होंने आगे लिखा कि "पंचायत लोकतंत्र की बुनियादी इकाई है। अगर निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों की जगह प्रशासनिक अधिकारी पंचायतों का जिम्मा सम्भालेंगे तो यह भ्रष्टाचार व तानाशाही बढ़ाएगा। अब गॉंव स्तर पर भी सरकारी अफ़सर फाइल देखने लगेंगे तो गरीब की सुनवाई नहीं होगी। लोकतंत्र के लिए चुने हुए लोग जरुरी हैं। "नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए तेजस्वी ने कहा की "बिहार पहले से ही नीतीश सरकार की तानशाही और लोकतंत्र की हत्या से परेशान है। अब कम से कम पंचायत और वार्ड स्तर पर तो इस अलोकतांत्रिक रवैये, तानाशाही और संगठित भ्रष्टाचार को फैलाने से परहेज़ किजीए।" गौरतलब हो कि मौजूदा जन प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर बिहार के राजनीतिक दलों का अलग-अलग मत है। भाजपा, जेडीयू और हम के बीच भी इस मुद्दे पर आपसी मतभेद है।

भाजपा के मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को पूूरा पांच साल काम करने का मौका मिला है। उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया होगा। अगर कुछ बच गया है तो उसे सरकार अपने स्तर से पूरा कर लेगी। उधर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि हम सबके सामने कोरोना से निबटने की बड़ी चुनौती है। पंचायतों का कार्यकाल 15 जून तक है। समय आने पर राज्य सरकार उचित निर्णय लेगी। जबकि सत्तारूढ़ हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा का रुख थोड़ा अलग है। वह कार्यकाल में विस्तार के पक्ष में है।


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