क्योंकि पीका डिसऑर्डर बच्चों में काफी आम समस्या है। लेकिन लोग इसपर ध्यान नहीं देता। एक स्टडी के मुताबिक 10 से 20 फीसदी बच्चे पीका डिसऑर्डर से कभी न कभी ग्रसित होते हैं। अमेरिकी वेबसाइट पिडियाट्रिकऑनकॉल.कॉम के मुताबिक बच्चों को डाटने की बजाय डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।पीका डिसऑर्डर को लेकर डॉक्टरों का मानना है कि बच्चे में खून की कमी होने के कारण वो मिट्टी खाते है। इसलिए बच्चों को सिर्फ दूध ना दें। बच्चों की खुराक में अनाज, दाल या सब्जियों की कमी होने से भी यह दिक्कत देखी जाती है। वक्त रहते मिट्टी खाने की आदत है नहीं छुड़वाई गई तो इसकी वजह से वो ऑटिज्म नामक बीमारी से भी ग्रसित हो सकते हैं। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन की मानें तो पीका की वजह से बच्चों की रोजाना की गतिविधियों पर असर पड़ने लगता है।
- ये बीमारी इसलिए पर नुकसानदायक है क्योंकि पीका का कोई इलाज नहीं है।
- विशेषज्ञों की माने तो इस डिसऑर्डर के लिए आपको अपने न्यूट्रीशिनल से सलाह लीजिए।
- बच्चों की खाने-पीने की आदतों में बदलाव करना चाहिए।
- न्यूट्रीशिनल के साथ किसी मनोवैज्ञानिक से सलाह जरुर लें।
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