प्रधानमंत्री, भारत सरकार।
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारत की 130 करोड़ अवाम को आज ऑक्सीजन नहीं चाहिए- वह तो लोग जुगाड़ कर ही रहे हैं। भारत को आज रेमडेसीविर और प्लाज़्मा भी नहीं चाहिए- वह भी किसी तरह जमाखोरों से जुगाड़ किया जा रहा है, या लोग दान कर रहे हैं।
आपकी अवाम को अस्पताल भी नहीं चाहिए, जो आपने बीते 8 साल में नहीं दिए। हम खुद ही बिस्तर जुगाड़ लेंगे या सड़क पर मरना पसंद करेंगे। भारत की अवाम को ऐसा पिट्ठू राष्ट्रपति भी नहीं चाहिए, जो अपनी सरकार की नाकामी और चहुंओर आलोचनाओं पर भी लाचार और चुप है।
आज भारत की 130 करोड़ अवाम को एक अदद सरकार चाहिए। देश की अवाम और खासकर मेरे जैसे लोग इसके लिए 2024 तक इंतज़ार नहीं कर सकते। मैं आपके आगे मदद के लिए गिड़गिड़ाने के बजाय जेल जाना या सड़क पर मरना पसंद करूंगा।
मैं एक आम नागरिक के रूप में अपने वतनपरस्त साथियों और देश की अवाम की ओर से प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि कृपया तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें। कुर्सी से हट जाएं। आप इस देश को जन्नत बनाने की कला नहीं जानते, पर आपको इसे नर्क बनाने की कला खूब आती है। आप हालात को संभाल नहीं पा रहे।
प्रधानमंत्री जी, आप अभी कुर्सी नहीं छोड़ेंगे तो आगे और लाखों लोग मरेंगे। आपने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद योग और ध्यान करके वक़्त काटेंगे। तो जाइये, वही कीजिये। आपकी बची-खुची गरिमा बनी रहेगी। आपकी पार्टी के बहुत से नेता आपकी जगह ले सकते हैं। आरएसएस की अनुमति से। उम्मीद है वे आपसे तो बेहतर और संवेदनशील ही होंगे।
राष्ट्रपति देश की तमाम राज्य सरकारों से एक सर्वदलीय समिति के गठन को कहें, जिसमें विपक्ष के नेताओं के साथ वैज्ञानिक, डॉक्टर, जन स्वास्थ्य के विशेषज्ञ शामिल हों।
प्रधानमंत्री जी, भारत इस वक़्त दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत में कोविड की समस्या सिर्फ देश की ही नहीं, दुनिया के लिए भी है। प्रधानमंत्रीजी, आपकी अक्षमता दुनिया के ताक़तवर देशों को भारत के मामलों में घुसपैठ करने का मौका दे रही है।
आज पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ को एक साल हो गए। हमने अपनी ज़मीन खोई, 1959 की LAC को मान लिया, आपने अपनी ही सेना को शर्मसार किया, क्योंकि चीन ने उसे घुसपैठिया बताया था और आप चुप रहे।
आपके शासन में अभी भारत की संप्रभुता भी खतरे में है। भारत विदेशी ताक़तों का उपनिवेश बनता जा रहा है। देश के हज़ारों नौजवानों, सेनानियों ने इसी संप्रभुता के लिए जान दी है। आप भी जानते हैं कि आरएसएस ने अंग्रेजों से सिर्फ माफ़ी ही मांगी। अब आपकी पार्टी तो लोकतंत्र के लिए ही खतरा बन चुकी है।
मोदीजी, आपने ही कहा था कि फ़कीर आदमी हूं, झोला उठाकर निकल लूंगा। तो निकल लीजिए, वक़्त आ चुका है। हम भारतीयों को मंदिर-मस्जिद, मूर्तियां, नई संसद, आपकी हवेली और बिकता हुआ देश नहीं, एक सरकार चाहिए-जो मौत नहीं, ज़िन्दगी बांटे।
मोदीजी, आप भारत का प्रधानमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। इसलिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और कुर्सी छोड़ दें। हम सब भारत के नागरिक आपसे विनती करते हैं।
आपकी अवाम को अस्पताल भी नहीं चाहिए, जो आपने बीते 8 साल में नहीं दिए। हम खुद ही बिस्तर जुगाड़ लेंगे या सड़क पर मरना पसंद करेंगे। भारत की अवाम को ऐसा पिट्ठू राष्ट्रपति भी नहीं चाहिए, जो अपनी सरकार की नाकामी और चहुंओर आलोचनाओं पर भी लाचार और चुप है।
आज भारत की 130 करोड़ अवाम को एक अदद सरकार चाहिए। देश की अवाम और खासकर मेरे जैसे लोग इसके लिए 2024 तक इंतज़ार नहीं कर सकते। मैं आपके आगे मदद के लिए गिड़गिड़ाने के बजाय जेल जाना या सड़क पर मरना पसंद करूंगा।
मैं एक आम नागरिक के रूप में अपने वतनपरस्त साथियों और देश की अवाम की ओर से प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि कृपया तुरंत अपने पद से इस्तीफा दें। कुर्सी से हट जाएं। आप इस देश को जन्नत बनाने की कला नहीं जानते, पर आपको इसे नर्क बनाने की कला खूब आती है। आप हालात को संभाल नहीं पा रहे।
प्रधानमंत्री जी, आप अभी कुर्सी नहीं छोड़ेंगे तो आगे और लाखों लोग मरेंगे। आपने कहा था कि रिटायरमेंट के बाद योग और ध्यान करके वक़्त काटेंगे। तो जाइये, वही कीजिये। आपकी बची-खुची गरिमा बनी रहेगी। आपकी पार्टी के बहुत से नेता आपकी जगह ले सकते हैं। आरएसएस की अनुमति से। उम्मीद है वे आपसे तो बेहतर और संवेदनशील ही होंगे।
राष्ट्रपति देश की तमाम राज्य सरकारों से एक सर्वदलीय समिति के गठन को कहें, जिसमें विपक्ष के नेताओं के साथ वैज्ञानिक, डॉक्टर, जन स्वास्थ्य के विशेषज्ञ शामिल हों।
प्रधानमंत्री जी, भारत इस वक़्त दुनिया के लिए खतरा बन चुका है। भारत में कोविड की समस्या सिर्फ देश की ही नहीं, दुनिया के लिए भी है। प्रधानमंत्रीजी, आपकी अक्षमता दुनिया के ताक़तवर देशों को भारत के मामलों में घुसपैठ करने का मौका दे रही है।
आज पूर्वी लद्दाख में चीन की घुसपैठ को एक साल हो गए। हमने अपनी ज़मीन खोई, 1959 की LAC को मान लिया, आपने अपनी ही सेना को शर्मसार किया, क्योंकि चीन ने उसे घुसपैठिया बताया था और आप चुप रहे।
आपके शासन में अभी भारत की संप्रभुता भी खतरे में है। भारत विदेशी ताक़तों का उपनिवेश बनता जा रहा है। देश के हज़ारों नौजवानों, सेनानियों ने इसी संप्रभुता के लिए जान दी है। आप भी जानते हैं कि आरएसएस ने अंग्रेजों से सिर्फ माफ़ी ही मांगी। अब आपकी पार्टी तो लोकतंत्र के लिए ही खतरा बन चुकी है।
मोदीजी, आपने ही कहा था कि फ़कीर आदमी हूं, झोला उठाकर निकल लूंगा। तो निकल लीजिए, वक़्त आ चुका है। हम भारतीयों को मंदिर-मस्जिद, मूर्तियां, नई संसद, आपकी हवेली और बिकता हुआ देश नहीं, एक सरकार चाहिए-जो मौत नहीं, ज़िन्दगी बांटे।
मोदीजी, आप भारत का प्रधानमंत्री बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। इसलिए अपनी ज़िम्मेदारी निभाएं और कुर्सी छोड़ दें। हम सब भारत के नागरिक आपसे विनती करते हैं।
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