संदीप मिश्र लखनऊ। गाजीपुर के जमानिया कोतवाली क्षेत्र के मलसा गांव में गुरुवार कि देर रात करीब 2 बजे संदिग्ध परिस्थिति में 217 भेड़ों से मरने से गांव में हड़कंप मच गया। गांव सहित आस पास के क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। बड़ी संख्या में भेड़ों कि मौत की सूचना पर तहसील‚ पुलिस एवं पशुपालन विभाग की टीम ने मौका मुआयना किया। अंग परीक्षण के बाद भेड़ों को दफना दिया गया।
मलसा गांव निवासी राघवशरण पाल एवं भैरोनाथ पाल ने बताया कि प्रतिदिन कि भांति बुधवार को भी शाम 4 बजे भेड़ों को चराने के बाद हाते में बंद कर दिया। रात करीब 9 बजे खाना खाने के बाद सो गये। देर रात हाते में कोई चहल पहल नहीं सुनाई दिया। जिसके बाद हाते में जा कर देखा तो एक के ऊपर एक भेड़ मरी पड़ी थी।जिसके बाद वह चिखने चिल्लाने लगा। आस पास के लोग मौके पर पहुंच गये। जिसके बाद मौजूद लोगों ने घटना की सूचना पुलिस एवं तहसील के अधिकारी कर्मचारी को दी। घटना की सूचना पर तहसील प्रशासन के साथ पशुपालन विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी मौके पर पहुंच गए। पशुपालन विभाग के डॉक्टर ने भेड़ों का अंग परीक्षण किया। वही अंग परीक्षण के बाद सभी भेड़ों को गड्ढा कर उसमें दफना दिया गया।
इस दौरान तहसीलदार घनश्याम ने ग्रामीणों को समझाया कि यह किसी महामारी के कारण नहीं हुआ है। भेड़ों का परीक्षण डॉक्टर द्वारा किया गया है। डॉक्टरों ने वहां के लोगों को कोविड के नियमों का पालन करने की सलाह दी। इस संबंध में पशु डॉक्टर डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि कुल 217 भेड़ मृत पाये गये है। जिसमें से राघवशरण पाल का 170 और भैरोनाथ पाल का 47 भेड़ है। मृत भेड़ो में 58 नर‚ 159 मादा है।
परीक्षण के बाद ज्ञात हुआ कि इन भेंड़ो कि मौत फूड प्वाइजनिंग की वजह से हुई थी। एक दिन पूर्व घर में तिलक था, जिसका बचा हुआ खाना भेड़ो को खिलाया गया था। जिस कारण से फूड प्वाइजनिंग हो गयी थी और भेड़ों कि मौत हुई है। गांव में अफवाह उड़ाया जा रहा है जो ठीक नहीं है। इस अवसर पर निलेश मौर्य‚ राजेन्द्र यादव‚ लेखपाल बेचू राम सहित अन्य दर्जनों लोग मौजूद रहे। एक साथ बड़ी संख्या में भेड़ों के मरने का कारण लोग गंगा के पानी को बताते रहे। लोगों का कहना है कि गंगा का पानी कोरोना की वजह से दूषित हो गया है और इस दूषित पानी को पी कर भेड़ों कि मौत हुई है।
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