कनाडा। प्रसिद्ध व ऐतिहासिक कैमलूप्स इंडियन रेजिडेंटीयल स्कूल में दफन किये गये 215 बच्चों के शव मिले हैं। सम्भावना जताई जा रही है कि शवों की संख्या इससे भी कही अधिक होती है। दफन लाशों में बहुत से की आयु 2 से 6 साल के बीच आंकी जा रही है। यह घटना कनाडा के इतिहास में मासूम बच्चों के साथ हुई भयानक बर्बरता का सबूत दुनिया के सामने पेश कर रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने इसके लिए अफसोस जताते हुए इसे कनाडा के इतिहास का सबसे शर्मनाक अध्याय बताया है।
बताया जा रहा है कि बच्चों की यह मौतें वर्ष 1890 से 1969 के मध्य हुई हैं। स्कूल के एक अधिकारी रोजैन केसिमीर ने इस घटना से पर्दा उठाते हुए एक ऐसी ऐतिहासिक घटना का जिक्र किया, जो शायद इससे पहले कभी दुनिया के सामने खुल नही पाई। उन्होंने बताया कि “19वीं सदी की शुरुआत से लेकर 1970 तक क्रिश्चियन स्कूलों में देशभर से 1.50 लाख से ज्यादा बच्चों को लाया गया था। उनके ऊपर क्रिश्चियन में कन्वर्ट करने का दबाव डाला जाता था और उन्हें अपनी मातृभाषा तक बोलने नहीं दी जाती थी। कइयों को पीटा गया। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान करीब 6 हजार बच्चे मारे गए थे।”आपको बता दें कि कनाडा का यह स्कूल एक वक्त में कनाडा का सबसे बड़ा बोर्डिंग स्कूल माना जाता था। यह ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में स्थित कैमलूप्स स्कूल 1978 में बंद हो गया था। कैमलूप्स स्कूल 1890 से 1969 तक चलाया गया था। इसके बाद सरकार ने कैथोलिक चर्च से इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। इस स्कूल को 1978 में बंद कर दिया गया।
ज्ञात रहे कि बच्चों की मौत को लेकर वर्ष 2008 में कनाडा की तत्कालीन सरकार ने संसद में माफी भी मांगी थी और माना था कि उस वक्त क्रिश्चियन स्कूलों में बच्चों के साथ शारीरिक और यौन शोषण भी होता था।पांच वर्ष पूर्व ट्रूथ एंड रिकॉन्सिलिएशन कमिशन की एक रिपोर्ट आई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दुर्व्यवहार और लापरवाही के कारण कम से कम 3,200 बच्चों की मौत हुई थी। जबकि, 1915 से 1963 के बीच कैमलूप्स स्कूल में 51 बच्चों की मारे जाने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
इधर इस घटना पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूड्यू ने भी दु:ख जताया है। उन्होंने कहा, “स्कूल में शव मिलने की खबर दिल दु:खाती है। ये हमारे देश के इतिहास के काले और शर्मनाक अध्याय की दर्दनाक याद है। मैं उन सभी लोगों के बारे में सोच रहा हूं जो इस दुखद खबर से प्रभावित हुए हैं। हम आपके लिए यहां हैं।”
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