अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। दिल्ली के अस्पतालों में बेड की अनुपलब्धता पर हाईकोर्ट के जज जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि आम आदमी को तो छोड़िए। अगर मुझे भी बेड की जरुरत पड़े तो आसानी से नहीं मिलेगी। कोर्ट ने कहा कि आम लोगों की जरुरतों का ध्यान रखा जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने कोर्ट से कहा कि केंद्र सरकार के बेड दिल्ली सरकार के ऐप में दर्शा रहे हैं। इनमें ईएसआई अस्पताल और रेलवे के कोच मिलाकर 4159 बेड दिल्ली सरकार को दिए गए हैं। आहूजा ने कहा कि इसमें से तीन सौ बेड बेस अस्पताल के अतिरिक्त हैं। आहूजा ने कहा कि कोरोना के ऐक्टिव केसों में दिल्ली का सातवां स्थान है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली समेत दूसरे राज्यों के लिए बेड बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मंत्रालयों और लोक उपक्रमों को कोरोना के लिए बेड आरक्षित रखने के लिए पत्र लिखा है। निजी अस्पतालों को भी पत्र लिखा गया है। कंपनी मामलों के मंत्रालय के जरिये कंपनियों को कारपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के फंड से अस्थायी सुविधाएं देने के लिए कहा गया है। आहूजा ने कहा कि दिल्ली सरकार लोक उपक्रमों से बात कर सकती है। इस पर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने आहूजा से पूछा कि क्या डीआरडीओ के पांच सौ बेड मरीजों के लिए उपलब्ध हैं। तब आहूजा ने कहा कि, मरीज उसमें भर्ती हो सकते हैं। राहुल मेहरा ने कहा कि पिछले साल नवंबर से अभी कोरोना के चार गुना मरीज बढ़े हैं। उस समय केंद्र बड़ा दयालु था। पिछले साल एम्स झज्जर में पूर्णत: कोरोना का इलाज हो रहा था। उन्होंने पूछा कि क्या वहां का 80 फीसदी बेड कोरोना के लिए आरक्षित किया जा सकता है। मेहरा ने आहूजा से पूछा कि क्या दिल्ली को सात हजार बेड मिल सकते हैं। तब आहूजा ने कहा कि एम्स और केंद्र सरकार के सभी अस्पताल दिल्ली के लिए ही हैं। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में दिल्ली सरकार के साथ बैठक में उन सभी में सुविधाओं पर चर्चा हुई थी। आहूजा ने कहा कि केंद्र उनमें बेड की क्षमता बढ़ाएगी और वहां प्रशिक्षित लोगों को तैनात करेगी। आहूजा ने कहा कि पिछले साल जैसा इंतजाम किया गया था वैसा ही होगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में नर्सिंग कॉलेज हैं जहां से प्रशिक्षित लोगों को लगाया जा सकता है।
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