अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। लोहा विक्रेता मंडल की डॉ. अतुल कुमार जैन की अध्यक्षता में बुधवार को संस्था के कार्यालय पर व्यापारियों के साथ एक बैठक हुई। जिसमें केंद्रीय और राज्य माल और सेवा कर के संबंध में आ रही समस्याओं के विषय पर गहन चर्चा हुई और उनके समाधान पर भी विचार-विमर्श हुआ।
उपस्थित व्यापारियों ने विक्रेता द्वारा समय से रिटर्न फाइल ना करने के कारण क्रेता पर टैक्स की जिम्मेदारी डालने की समस्या बताई और कानून के इस प्रावधान को संशोधित करने के लिए सुझाव दिया कि क्रेता ने पूरा टैक्स देकर एक पंजीकृत व्यापारी से माल खरीदा है तो उसके उपरांत जिम्मेदारी रिटर्न भरने इत्यादि की उस विक्रेता की है। उसके लिए क्रेता को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
किसी भी तरह के प्रावधान की अवहेलना या गलती के कारण यदि कोई पेनल्टी आरोपित की जाती है तो उस पर ब्याज की दर बहुत अधिक है। इस पर व्यापारियों का सुझाव था कि ब्याज की दर बैंक की दर के अनुरूप होनी चाहिए। यदि कोई वाहन पर माल सहित चेकिंग के दौरान कोई गलती पाई जाती है और वाहन को माल सहित रोका जाता है तो विभाग द्वारा यह नियम है कि व्यापारी अपील करते समय 25% का भुगतान करेगा तभी अपील मान्य होगी विचाराधीन होगी। इस पर व्यापारियों का सुझाव था कि क्योंकि संपूर्ण कीमत का माल और वाहन विभाग के कब्जे में है तो अपील के लिए 25% की मांग अनुचित है और यह जमा नहीं करानी चाहिए।
नए नियम के अनुसार यदि वाहन माल सहित किसी भी गलती से जाने या अनजाने के कारण अगर सचल दल द्वारा रोका जाता है तो अब 36 प्रतिशत दंड के रूप में जमा करने का प्रावधान बनाया गया है। जिसके लिए व्यापारियों की राय है कि यह नियम पूर्व की तरह रहना चाहिए। बल्कि, संपूर्ण 36 परसेंट को टैक्स के रूप में ही जमा किया जाना चाहिए। जिससे बाद में उसका समायोजन किया जा सके।
चर्चा के दौरान एक और विषय प्रस्तुत किया गया। जिसके अनुसार द्वितीय अपील के लिए किसी भी तरह का अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन अभी तक नहीं किया गया है। न्याय हित में और व्यापार हित में इसका गठन किया जाना भी आवश्यक है।
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