नई दिल्ली/ बीजिंग। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण (एलएसी) पर चीन के साथ 10 माह से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए 11वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता आज शुक्रवार को सुबह 11 बजे से मोल्डो-चुशुल मीटिंग प्वाइंट पर होगी। मई, 2020 से शुरू हुए सीमा तनाव को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच अबतक 10 बार सैन्य वार्ता हो चुकी हैं। 9वें दौर की वार्ता के बाद पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से दोनों देश की सेनाएं पीछे हटी हैं।
भारत और चीन के बीच 11वें दौर की बातचीत ऐसे समय में हो रही है। जब 12 मार्च को हुए क्वाड देशों के पहले शिखर सम्मेलन को लेकर चीन की बढ़ती बेचैनी साफ नजर आ रही है। दोनों देशों की सेनाओं के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच 10वें दौर की बातचीत 20 फरवरी को हुई थी। करीब 16 घंटे चली इस बैठक में पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेप्सांग जैसे गतिरोध वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच पैन्गोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर की तरह इन विवादित इलाकों से भी सैनिकों, हथियारों तथा अन्य सैन्य उपकरणों को हटाए जाने पर गहन मंथन किया गया।
अब दोनों देशों के बीच हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेप्सांग समेत अन्य टकराव वाले मुद्दों को लेकर 11वें दौर की बातचीत 9 अप्रैल को हो रही है। चीन के साथ 10वें दौर की बातचीत दोनों सेनाओं के पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों से सैनिकों और हथियारों की वापसी के पूरा होने के दो दिन बाद मोल्डो-चुशुल सीमा मीटिंग प्वाइंट पर हुई थी। इस बैठक का मुख्य मुद्दा रक्षा मंत्री ने 11 फरवरी को संसद के दोनों सदनों में बयान देते वक्त ही तय कर दिया था कि पैन्गोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारों पर पूरी तरह डिसइंगेजमेंट होने के 48 घंटे के भीतर बाकी विवादित इलाकों पर भी चीन से बातचीत की जाएगी। इसलिए 16 घंटे की इस वार्ता में एलएसी के अन्य विवादित क्षेत्रों हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा, डेप्सांग और डेमचोक में गतिरोध खत्म करने पर ही फोकस किया गया। अब आज की वार्ता में इन्हीं इलाकों से डिसइंगेजमेंट होने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना है।
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