अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर चरम पर पहुंचते दिख रही है। प्रतिदिन तेजी से बढ़ते आंकड़े चिंता का बड़ा विषय बन रहे हैं। वहीं, कोरोना पर रोकथाम के लिए जितनी गंभीरता से राज्य सरकारें हर मुमकिन कोशिश कर रही हैं। उतनी ही तेजी से आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। अब अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में जिस प्रकार कोरोना के आंकड़े एक बार फिर बढ़ रहे हैं ये ठीक ब्रिटेन की तरह होते दिख रहा है। उन्होंने कहा कि ये संभावना है कि कोई ऐसा वेरिएंट हो जो वायरस को और तेजी से फैला रहा है। उन्होंने कहा भले ही इस वक्त हमारे पास डेटा या सबूत नहीं है। इसका मतलब ये नहीं कि इसकी संभावना नहीं है। मामले इस वक्त युवाओं में ज्यादा आते दिख रहे हैं। इन युवाओं ने अगर अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझा तो ये धीरे-धीरे बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में ले लेगी और वक्त के साथ हर उम्र के लोग इससे संक्रमित हो जाएंगे। गुलेरिया ने लॉकडाउन पर बात करते हुए कहा कि, “लॉकडाउन कोरोना को खत्म करने का समाधान नहीं है। लॉकडाउन के बजाय अगर छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन बना दिए जाए तो वो बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि, “टेस्टिंग कैपेसिटी को और बढ़ाकर, ट्रीटमेंट में और तेज़ी लाकर साथ ही छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन बनाकर इस बढ़ते संक्रमण की दर को रोका जा सकता है।इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंता जतायी है। केंद्र ने कहा, “स्थिति बद से बदतर हो रही है। पूरा देश जोखिम में है। उन्होंने, लोगों से सतर्क रहने साथ ही लगातार सावधानी बरतने और गाइडलाइन को पालन करने की अपील की है।
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