नई दिल्ली/ वाशिंगटन डीसी। वायु प्रदूषण की लागत भारतीय कारोबार में प्रत्येक वित्तीय वर्ष में लगभग 95 बिलियन अमेरिकी डॉलर (7 लाख करोड़ रुपये) पड़ती है। जो कि भारत की कुल जीडीपी का लगभग 3% है। ये एक प्रमुख शोध रिपोर्ट से पता चलता है। यह लागत हर साल वसूले जाने वाले सभी तरह के कर का 50% या भारत की स्वास्थ्य सेवा बजट का 150% के बराबर है। रिपोर्ट की जांच और परिणाम के लिये साझेदारी में डलबर्ग एडवाइज़र के साथ साथ क्लीन एयर फण्ड और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने मिलकर काम किया और यह बताया कि वायु प्रदूषण पर तुरंत कार्रवाई की ज़रूरत है। इसकी वजह से भारी आर्थिक लागत पड़ती है और इसके साथ-साथ स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है।
डलबर्ग का अनुमान है कि भारत के कामगार वायु प्रदूषण की वजह से सेहत खराब होने के कारण सालाना 1.3 बिलियन दिनों का ऑफ वर्क लेते हैं जिसकी वजह से रेवेन्यू में 6 बिलियन अमरीकी डालर का नुकसान होता है। वायु प्रदूषण की वजह से कामगारों के कार्य करने की क्षमता के साथ उनकी सोचने समझने की शक्ति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण उनकी ऑन द जॉब प्रोडक्टिविटी कम होती है। जिससे बिज़नेस रेवेन्यू 24 बिलियन अमरीकी डालर तक कम हो रहा है।
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