सारा-सारा दिन काम करो,
दिन में बस एक नेक काम करो,
कर्मकांड, कर्तव्य, कर्म करो,
आठों पहर में घड़ी अनुदान करो।
जियो अपने ढंग से,
बहो सब के संग में,
जियो और जीने दो,
सबपे ये करम करो।
किसी का भाग ना खाओ,
असह को ना सताओ,
लूट-मार क्यों करें,
अपने आप से ही शरों।
बल का सदुपयोग करो,
वेदना मयी योग करो,
सृष्टि के कल्याण करो,
नाभंग निज कर्म करो।
अपनी भी हो आरती,
कृष्ण-सा हों सारथी,
इस मानव जीवन को,
ना व्यर्थ नाकाम करो।
जी-मदिरा भक्षण को,
बंद करों आरक्षण को,
सोचों त्रयक्षण को,
प्रतिपल नाम करो।
तृप्ति किसी को दे दो,
बदले में नेकी ले लो,
धन में ना हो उन्मुक्त,
धैर्य मन विश्राम करो।
मन से मानवता का,
नीच से भीरता का,
अर से आचरण का,
बस एक सकाम करो।
चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank you, for a message universal express.