अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वीकार किया है कि पेट्रोल और डीजल के ऊंचे दाम उपभोक्ताओं का बोझ बढ़ा रहें हैं। उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमतों से राहत मिलनी चाहिए। लेकिन इसके लिये केन्द्र और राज्य दोनों के स्तर पर करों में कटौती करनी होगी। पेट्रोल की खुदरा कीमत में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्रीय और राज्य करों की है। डीजल के मामले में यह 56 प्रतिशत तक है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर को पार कर गया है जबकि देश में अन्य स्थानों पर भी इनके दाम अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का लाभ लेने के लिए सीतारमण ने पिछले साल पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में रिकॉर्ड वृद्धि की थी। इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के निचले स्तर पर आ गए थे। हालांकि सीतारमण ने उपभोक्ताओं को राहत के लिए केंद्रीय करों में कटौती की दिशा में पहल करने के बारे में कुछ नहीं कहा।
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