हरिओम उपाध्याय
लखनऊ। दुर्गम रास्ते, प्यास बुझाने को पानी की किल्लत, औद्योगिक शून्यता। साल 2017 के पहले तक शौर्य और संस्कार की ऐतिहासिक धरती बुंदेलखंड की यही पहचान थी। अब बुंदेलखंड विकास के नए प्रतिमानों ने बुंदेलखंड की नई पहचान गढ़ दी है। इस क्षेत्र की संस्कृति और ऐतिहासिकता को संरक्षित करने के साथ ही प्रदेश की योगी सरकार इसे उद्योग और पर्यटन का हब बनाने में लगी है। बुंदेलखंड को लेकर जारी योजनाओं के पूरा होने पर हर क्षेत्र में नाम के अनुरूप इसकी तस्वीर भी बुलंद होगी।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के साथ ही इस क्षेत्र से हवाई सेवा, डिफेंस कॉरिडोर, रामायण सर्किट, मेडिकल कॉलेज, औद्योगिक क्लस्टरों का विकास इसका जरिया बनेगी।
बुंदेलखंड दौरे पर मंगलवार को ललितपुर में बंडई बांध परियोजना के लोकार्पण समारोह में इस क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मास्टर प्लान की झलक दिखाई। उनकी चाहत विकास के माध्यम से बुंदेलखंड की ख्याति धरती का स्वर्ग जैसा करने की है। अपने संबोधन में उन्होंने इस बात को साझा भी किया। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के साथ ही बुंदेलखंड को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा दिया था। नतीजा, आज सबके सामने है।
विकास की अनिवार्य शर्त रोड कनेक्टिविटी के साथ ही एयर कनेक्टिविटी पर खासा फोकस बुंदेलखंड की बदहाली की एक बड़ी वजह यातायात की दुर्गम स्थिति थी। देश और प्रदेश की राजधानी तक इस क्षेत्र से आना-जाना दुरूह था। योगी ने विकास के अपने मास्टर प्लान में रोड कनेक्टिविटी का ध्यान रखते हुए बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का निर्माण शुरू कराया। आधा काम हो चुका है। और इस साल के अंत तक बुंदेली विकास इसी एक्सप्रेसवे पर सरपट भागता नजर आएगा।
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