सोमवार, 1 मार्च 2021

यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए गधे के मांस का भक्षण

पालूराम  

अमरावती। भारत में गदहा पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। यही वजह है कि सरकार ने इसे विलुप्त होने वाले जानवरों की लिस्ट में रखा है। एक तरफ भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसआई ने गधे को फूड एनीमल के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं कर यह संदेश दे दिया है कि इन्हें मारना अवैध है। वहीं, दूसरी तरफ आंध्र प्रदेश के कई जिलों में लोग गदहों को मारकर उसका मांस खा रहे हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के सरकारी अधिकारी प्रदेश के कुछ जिलों में गधे के मांस के कथित सेवन की आशंका जता रहे हैं। कथित तौर पर लोग मान रहे हैं कि गदहा के मांस खाने से पीठ दर्द, अस्थमा ठीक होता है। एक पशु कल्याण कार्यकर्ता सुरबाथुला ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि गदहे का मांस ज्यादातर प्रकाशम, कृष्णा, पश्चिम गोदावरी और गुंटूर जिलों में खाया जाता है।

वही पशु कल्याण कार्यकर्ता सुरबाथुला ने कहा कि हर गुरुवार और रविवार को मांस की बिक्री होती है, जहां कुछ पढ़े-लिखे लोग भी इसे खरीदते हैं। माना जाता है कि इन मौकों पर कम से कम 100 गधों का वध किया जाता है। गदहे के मांस को बेचने के व्यापार से जुड़े लोग कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से जानवरों की खरीद कर रहे हैं। इसके साथ थी पशु अधिकार कार्यकर्ता के अनुसार, गधे का मांस खाने की आदत प्रकाशम जिले के एक जगह से पहले शुरू हुई थी। एक समय में यह जगह चोरों का केंद्र हुआ करता था। एक मिथक यह था कि गधे के खून पीने से इंसान को इतनी ताकत मिलती है कि वह लंबे समय तक दौड़ सकता है, इसी वजह से यहां रहने वाले चोर गदहे को मारकर उसका खून पीते थे।

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