अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। रविवार को गाज़ियाबाद में यूपी गेट पर चल रहे किसानों के धरना-प्रदर्शन में गिने चुने किसान ही नज़र है। हालांकि, यहाँ सड़क पर कब्जा कर बने टेंट अभी भी बदस्तूर लगे हुए हैं। मगर उनमें पंजाब के गांवों से भरकर लाए गए किसान नज़र नहीं आ रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि किसानों ने कृषि क़ानूनों को अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और अब वे नेताओं की बात सुनना बंद कर नए क़ानूनों को अपने नफे नुकसान के हिसाब से देख रहे है। वहीं गाज़ियाबाद प्रशासन द्वारा सड़कों को रोक कर आम आदमी की परेशानियाँ बढ़ाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। दिल्ली-यूपी बार्डर अभी भी आम जनता के लिए बंद है और उसे अभी भी रोजी-रोटी कमाने के लिए लंबा और ट्रैफिक जाम से भरा सफर तय करना पड़ेगा। पंजाब के किसानों द्वारा यूपी गेट पर 28 नवंबर से शुरू किया गया धरना-प्रदर्शन अभी चल रहा है। यहाँ जनता की सुविधा के लिए बने फ्लाईओवर तथा उसकी सर्विस लेन पर पूरी तरह से उन किसानों का कब्जा है जो हर रोज दफ्तर जाकर 10-12 घंटे लगातार काम करने वाले आम आदमी का दुख दर्द न तो जानते हैं और न ही समझना चाहते हैं। दिल्ली पुलिस भी आम जनता पर जुल्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बार्डर पर कंटीले तार लगगकर बैरिकेड लगा रखे हैं। गाज़ियाबाद पुलिस के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि यहां प्रदर्शनकारियों की संख्या एक हजार से कम है, मगर सुरक्षा-व्यवस्था पूर्व की भांति ही है। क्षेत्र को सात जोन और 13 सेक्टर में बांटकर मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है। अर्धसैनिक बल तैनात है। खुफिया विभाग की टीम सक्रिय है। बम निरोधक दस्ता भी जांच-पड़ताल कर रही है। रविवार को पुलिस अधीक्षक नगर द्वितीय ज्ञानेंद्र सिंह, यातायात पुलिस अधीक्षक रामानंद कुशवाहा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आंदोलन स्थल पर डटे रहे। ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि धरनास्थल पर होने वाली हर छोटी-बड़ी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं।
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