देवभूमि उत्तराखंड में पुन। दैवीय प्रकोप से हुयी भारी तबाही और बचाव राहत कार्य पर विशेष
पंकज कपूर
देहरादून। यह युग परिवर्तन का दौर चल रहा है और संधिकाल अथवा युग के साथ तालमेल बिठा कर उसके मुताबिक कार्य व्यवहार आचरण नियम सिद्धांतों को मानना होगा।युग परिवर्तन के बीस बरस गुजर गये हैं। और इक्कीस्वीं सदी अब खुद स्वत अपने मुताबिक परिवर्तन लाने की मुहिम में जुट गई है। परिणामस्वरूप धरती पर तरह के घटनाक्रम एवं अभूतपूर्व ऐतिहासिक भारी तबाही शुरू हो जाती है। प्रकृति का प्रकोप एक नहीं तमाम तरह से होता है।अभी सात साल पहले इसी प्रकार की एक प्राकृतिक आपदा देवभूमि उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में आई थी। जिसके घाव अभी भी नहीं भरें थे। कि कल सुबह नौ बजे देवभूमि के चमौली में एक जोरदार धमाके के साथ जोशीमठ के रैनी गाँव के पास धौली गंगा में जोरदार धमाके के साथ पुन पहाड़ से जुड़ी। कई नदियों में जल प्रलय आ गई।अचानक ग्लेशियर टूटने से आई आफत अपने आप में अविश्वसनीय एवं विज्ञान को चुनौती देने वाली है। क्योंकि जाड़े के मौसम में बर्फ जमी होने से कभी पिघलती नहीं है। जिसके कारण कभी जाड़े में ग्लेशियर नहीं टूटते हैं। कुदरत खुदा भगवान प्रकृति द्वारा इस कड़ाके की सर्दी में ग्लेशियर को पिघला कर लायी गयी मौत तबाही एवं खौफ ने पूरे देश को दहला दिया है और जान माल का ऐतिहासिक नुकसान हुआ है।सिर्फ दस बारह घंटे में ही इस त्रासदी ने जो कहर बरपा है। और जितना नुकसान हुआ है। उसका आँकलन कर पाना संभव नहीं है। कल्पना करिये कि अगर कुदरत का यही कहर भगवान न करें दो चार दिन आ जाय तब इस धरती के वजूद का खतरा पैदा हो जायेगा।मात्र बारह घंटे की कुदरती महातबाही से स्थिति यह पैदा हो गई है। कि घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने ही नहीं दौरा कर आपदा प्रबंधन का जायजा लिया है। बल्कि राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह भी हस्तक्षेप करते हुए घटना पर निगाह रखे लोगों को हर तरह से इस दैवीय आपदा से बचाने के लिए जिम्मेदार लोगों से सम्पर्क बनाये हुये कड़ी निगरानी कर रहे हैं। आश्चर्य जनक ढंग से ग्लेशियर टूटने आई मौत एवं बरबादी की आंधी से ऋषि गंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान हुआ है। और बचाव दल जिंदगी मौत से संघर्ष कर रहे लोगों को मौत के मुंह से सुरग से खोदकर निकालकर देवदूत की भूमिका निभा रहे हैं। एनडीआरएफ की टीम एजेंसियों द्वारा मौके पर लोगों को जिंदा बचाने की जद्दोजहद कर रही है। और एक दर्जनों लोगों को बचाया जा चुका है। बचाव राहत कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। अप्रत्याशित आई तबाही की धारा के सामने नर नारी ही नहीं बल्कि जो गाँव घर पेड़ पहाड़ जंगल सामने आया वह सब बलिदान हो गए। अलकंदा एवं जुडी नदियों में जल प्रलय आने से आज सुबह तक सैकड़ों लोग लापता हैं। तथा एक दर्जन से अधिक लोगों के शव मिल चुके हैं। निचले इलाकों में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। शाम को तबाही का मंजर बहाव कम होने से देर रात तक समाप्त होने की कगार पर पहुंच गया था लेकिन पुनः बहाव तेज हो गया है। जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। और उत्तर प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया।आपदा प्रबंधन सक्रिय है। एवं लोगों की जान बचाने में देश की सेना के साथ सभी बचाव एजेंसियों को लगा दिया गया है। जो घटना के तुरंत बाद से जान खतरे में डालकर विमानों एवं हैलीकाप्टरों की मदद से रेसक्यू कार्य में जुटे हुए हैं। और मलवे में दबे फंसे लोगों को निकालने की कोशिश की जा रही है।इस त्रासदी से कितनी मौतें हुयी हैं। इसका अभी कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है।इस दैवीय आपदा से वहीं बच रहा है। जिसे भगवान खुदा ही बचा रहा है।दुनिया के तमाम देशों ने घटना पर गहरे सदमे का इजहार करते हुए सहायता की पेशकश कर मानवीय संवेदना व्यक्त की है। जबकि सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता की घोषणा कर दी गई है।हम अपने पाठकों की तरफ से इस घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर लोगों की जान माल की हिफाजत के लिये ईश्वर से कामना करते हैं।
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