देश भीख-प्रदेश चोरी 'संपादकीय'
देश की भाजपा सरकार के विरुद्ध एक बड़ा वर्ग क्रांतिकारियों की सूची में स्थापित हो चुका है। आंदोलन के प्रभाव और प्रसार पर नियंत्रण करने में भी बड़ी चूक रही है। सरकार के विरोध को समझने के अभाव में राष्ट्र का हित संभव ही नहीं है। तकनीकी क्षेत्र और औद्योगिक गतिविधियों के विकास का ग्राफ भी ठीक नहीं है। विरोध को शांत करना सरकार की प्राथमिकता का आधार होना चाहिए। किसी भी दशा और अवस्था में आंदोलन की समस्या का मार्ग प्रशस्त किया जाएं। विरोध के चलते भाजपा संगठन को बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। भविष्य में भाजपा के द्वारा कई राज्यों के चुनावों में 'मुंह की खानी पड़ेगी'। विरोध का मूल, सदैव पतन का द्वार खोलता है। किसी भी राष्ट्र के कृषकों में व्याप्त आक्रोश सरकार की नींव कमजोर कर देता है। इसिलिए, सनातन शास्त्रों में इसका सीधा-सा उदाहरण अंकित किया गया है, कि 'देश भीख-प्रदेश चोरी' समान फल देने वाले होता हैं। भौतिक विकास में मानवीय विकास की गति की दिशा से सरकार भटक गई है। जनसंस्था घनत्त्व और बेरोजगारी जैसी गंभीर समस्याओं पर सरकार की बोलतीं बंद है। भयावह और प्रमुख समस्याओं पर सरकारी उदारता बरकरार है। सरकार को कई विशेष पहलूओं पर मंथन करने की जरूरत है। यदि समय रहते आवश्यक बिंदुओं पर रचनात्मक उपयोग नहीं किए गए तो भाजपा को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'
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