शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

राजनीति: आईपीएल और किसान आंदोलन

आईपीएल और किसान आंदोलन 
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। आईपीएल में बिकने वाले हर खिलाड़ी का एक बेस प्राइस होता है। आप उसे एमएसपी भी बोल सकते हैं। ख़रीदार को कम से कम उसका बेस प्राइस (एमएसपी ) देना होता है। खिलाड़ी अच्छा हो तो बेस प्राइस से ऊपर बिकता है। खिलाड़ी औसत दर्जे का हो तो बेस रेट पर बिक जाता है। यही माँग किसान कर रहे है, कि उनकी उपज कम से कम बेस प्राइस (एमएसपी) पर बिके, उपज अच्छी हो तो बेस प्राइस ( एमएसपी) से ज़्यादा दाम मिले। 
टीम (कम्पनी ) से खिलाड़ी का एक कॉंट्रैक्ट होता है। और कॉंट्रैक्ट की रक़म टीम को देनी होती है। अगर खिलाड़ी की पर्फ़ॉर्मन्स ख़राब हो तो उसकी रक़म घटती नहीं है। खिलाड़ी के रन या विकेट गिनकर टीम खिलाड़ी को पैसे नहीं देती। खिलाड़ी को अगर टीम कॉंट्रैक्ट से कम पैसे देने की कोशिश करे तो खिलाड़ी कोर्ट जाकर टीम के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर सकता है। कॉंट्रैक्ट फ़ार्मिंग में कम्पनी फ़सल के दाम बाज़ार में ज़्यादा हो तो कॉंट्रैक्ट रेट पर किसान से फ़सल लेती है। लेकिन अगर बाज़ार में फ़सल का दाम कम हो तो फ़सल में कमी निकालकर उसे ख़रीदने से बचती है। पंजाब में आलू किसानो के साथ यह हो चुका है। जब तक बाज़ार के रेट ज़्यादा थे। कम्पनी किसान से कॉंट्रैक्ट वैल्यू ( जो कि बाज़ार भाव से काफ़ी कम था।) पर आलू ख़रीदते रहे लेकिन जैसे ही बाज़ार का भाव कॉंट्रैक्ट वैल्यू से कम हुआ कम्पनी एक कड़ा ले आयी और जो आलू कड़े से निकल गया उसे रिजेक्ट कर दिया गया। किसान अपने इस उत्पीड़न के ख़िलाफ़ कोर्ट भी नहीं जा सकता। 
आईपीएल में एक टीम को निश्चित रक़म मिलती है। जिसके अंदर वो टीम खिलाड़ियों को ख़रीद सकती है। अगर यह रक़म अनिश्चित हो तो क्या प्रीति ज़िंटा , शाहरुख़ खान के सामने कोई खिलाड़ी ख़रीद पाएगी और शाहरुख़ खान ही क्या अम्बानी के सामने कोई खिलाड़ी ख़रीद पाएगा । कैप इसीलिए तो लगाया है। जिससे हर कोई खिलाड़ी ख़रीद सके और एक ही टीम असीमित पैसे ख़र्च करके सारे खिलाड़ी ( असीमित भंडारण ) ना ख़रीद ले । किसान भी इसीलिए आंदोलन कर रहे हैं। कि पैसे के दम से एक ही उद्योगपति असीमित भंडारण ना करे , इस पर पहले की भाँति कैप लगा रहे हैं। जिससे सबके हिस्से में अनाज आ जाए।
आईपीएल में खिलाड़ियों की नीलामी के लिए एक अधिकारिक मंडी ( सरकारी मंडी ) है। जिससे नीलामी में ट्रैन्स्पेरेन्सी रहती है । अगर अलग अलग जगह इन खिलाड़ियों की नीलामी के लिए मंडी बन गयी तो आईपीएल मैनज्मेंट सब पर नज़र भी नहीं रख पाएगा और इन मंडियो की वजह से दलालों की संख्या भी बढ़ेगी और यह दलाल डराकर, धमकाकर , लालच देकर इन खिलाड़ियों का शोषण भी करेंगे । किसान भी यही कह रहे हैं। कि सरकारी मंडियो की जगह जो छोटी छोटी प्राईवेट मंडिया बनाने की बात हो रही है। उससे दलाल बढ़ेंगे , किसानो का शोषण बढ़ेगा और किसानो को लालच देकर , डराकर मनमर्ज़ी दाम पर फ़सल बेचने पर मजबूर किया जाएगा।
अगर कृषि के क़ानून की तर्ज़ पर आईपीएल के क़ानून बन जाए तो आईपीएल बर्बाद हो जाएगा। ठीक इसी तरह से यह बिल कृषि और किसानो को बर्बाद कर देंगे।

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