शिव का ऐसा मंदिर जहां रात में रुकने पर पत्थर के बन जाते है। लोग, जानिए क्या है। इसका सच
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारत में कई ऐसी जगहें हैं। जहां रात को रूकना मना है। उन जगहों से जुड़ी कुछ मान्यताएं लोगों में खौफ पैदा करती हैं। इन जगहों को लोग भूतिया मानते हैं। और रात में उन जगहों पर रूकने से डरते हैं। अथवा उन जगहों पर रात में रुकने की मनाही होती है। ऐसी हैं। एक जगह भारत के राजस्थान में है। यह है बारमेड़ स्थित किराड़ू मंदिर, यहां लोगों के रात में रूकने की मनाही है।
किराडू मंदिर अपनी बुरी कहानियों के लिए प्रसिद्ध तो है। लेकिन इस मंदिर की कलाकृतियां सदियों पुरानी हैं। यह भगवान शिव का मंदिर है। 11वी शताब्दी के शिलालेख इस मंदिर में आज भी मौजूद हैं। इसे लघु खजुराहो भी कहा जाता है। किराड़ू मंदिर अपने अंदर एक रहस्य समेटे हुआ है। इसके लिए विश्वभर में इसकी एक अलग ही पहचान है।
इस मंदिर के बारे में प्रचलित है। कि रात में जो भी इसमें ठहरता है। को पत्थर का बन जाता है। स्थानिय निवासियों का मानना है। कि इस मंदिर को एक ऋषी ने श्राप दिया था। जिसके कारण माना जाता है। कि जो भी रात में इस मंदिर में ठहरता हैं। वो पत्थर का बन जाता है।
लोक मान्यताएं हैं। कि सदियों पहले एक ऋषी अपने शिष्यों के साथ किराडू मंदिर आए थे। साधु कुछ दिनों की तपस्या के लिए मंदिर छोड़कर गांव वालों के भरोसे अपने शिष्यों को छोड़कर गए थे। साधु को लगा कि जिस तरह से गांव वाले उनकी देखभाल करते हैं। उसी तरह उनके शिष्यों का भी ख्याल रखा जाएगा। साधु की उनुपस्थिति में शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया। लेकिन कोई भी गांव वाला उनकी सहायता करने नहीं आया। ऋषी जब अपनी तपस्या करके वापस लौटे तो उन्होंने अपने शिष्यों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। साधु को उनके शिष्यों ने बताया कि लोगों ने उनकी कोई सहायता नहीं कि जिस पर क्रोधित होकर साधु ने कहा कि यहां के लोग पत्थल दिल के हैं। वह इंसान बने रहने के योग्य नहीं हैं। इसलिए उन्होंने सबको पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया। जिसके बाद गांव के सभी लोग पत्थर के बन गए।
पूरे गांव में केवल एक ही महिला था। जिन्होंने साधु के शिष्यों की मदद की थी। इसलिए साधु ने इस महिला को गांव छोड़कर कहीं चले जाने को कहा था। साथ ही साधु ने उस महिला को कहा था। कि वो गांव छोड़कर जाते समय पीछे मुंडकर ना देखे लेकिन कहा जाता है। कि उस महिला के मन में संदेह हुआ कि तपस्वी की बात सच भी है। या नहीं। इसीलिए उसने पीछे मुड़कर देखा जिसके कारण वह भी पत्थर की बन गयी। किराडू मंदिर से कुछ दूरी पर बसे सिहणी गांव में आज भी उस महिला की पत्थर की मूर्ति को देखा जा सकता है। जिसके कारण इस मंदिर की कहानी को सही माना जाता है।
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