शक्तिवर्धक दवाओं को बनाने में किया जाता है उपयोग
कानपुर। यूपी एसटीएफ ने ऐसे गिरोह के दो सदस्यों को पकड़ा है जो कछुओं की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करते हैं। इनके पास से तकरीबन विभिन्न प्रजातियों के तेरह सौ कछुए बरामद हुए हैं। इन कछुओं को शक्तिवर्धक दवाओं को बनाने के उपयोग में लाया जाता है। एसटीएफ की कानपुर इकाई के पुलिस उपाधीक्षक तेज बहादुर सिंह ने रविवार को इसका खुलासा करते हुए बताया कि देर रात को चकेरी राज्यमार्ग पर चेकिंग के दौरान एक कंटेनर को रोका गया। इसमें सवार दो युवकों को हिरासत में लेकर कंटेनर की तलाशी ली गई, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के 1300 कछुए बरामद हुए। आरोपितों सहित कंटेनर को चकेरी थाने लाया गया। यहां पूछताछ पर पकड़े गए अभियुक्तों ने अपने नाम मैनपुरी निवासी रामब्रेश यादव और विनोद कुमार सविता बताया है। जुर्म स्वीकार कर बताया कि वह लोग कछुओं की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी करते हैं। इसके लिए उन्हें मोटी रकम मिलती हैं। शक्ति वर्धक दवा में होता है इस्तेमाल एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियां यूपी में पायीं जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुआ के मांस व कैलपी (झिल्ली) को सुखाकर शक्ति वर्धक दवा के लिये उपयोग किया जाता है। कछुआ को सॉफ्ट सेल (मुलायम कवच) तथा हार्ड सेल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। यमुना, चम्बल, गंगा, गोमती, घाघरा आदि नदियों उनकी सहायक नदियों और तालाबों में यह दोनों प्रकार के कछुए भारी मात्रा में पाये जाते हैं।
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