अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में भ्रष्टाचार से जुड़ा बड़ा मामला प्रकाश में आया है। एक तथाकथित एग्रीमेंट पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने से एकाएक हड़कंप मच गया है। जीडीए में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। यह भी सर्वमान्य तथ्य है कि जीडीए में अवैध निर्माण के कराने के लिए मोटी रिश्वत ली जाती है। सूत्रों के अनुसार रिश्वत का यह पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक जाता है। यही वजह है कि शिकायत मिलने के बाद भी प्रवर्तन विभाग के अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। अब सोशल मीडिया के जरिए जीडीए में भ्रष्टाचार का एक नया मामला सामने आया है। आरोप है कि अवैध निर्माण करने के लिए जीडीए में सुविधा शुल्क की राशि फिक्स होती है। यह राशि मिलने के बाद संबंधित अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ट्रांस हिंडन क्षेत्र के अवैध निर्माण का जिक्र किया गया है। आरोप है कि विक्रम एंक्लेव साहिबाबाद क्षेत्र का मामला है। सोशल मीडिया पर वायरल कागजात की प्रति बताती है कि यह मामला 28 अगस्त 2020 का है। जिसमें बताया गया है कि विक्रम एंक्लेव साहिबाबाद क्षेत्र में एक भूखण्ड में पांच छत डाली जानी है। जिसमें पार्किंग, अपर ग्राउंड फ्लोर, फस्र्ट फ्लोर, सेंकेण्ड फ्लोर व थर्ड फ्लोर बनेगें।
छत के हिसाब से रेट होते हैं तय
हर एक छत के लिए 1 लाख 20 रूपए एवं पांच छत के लिए 6 लाख रुपए की मांग की गई। यह भूखण्ड करीब 355 वर्ग गज के दो भाग में बंटा है। वायरल पत्र से इस बात का अंदाजा लगाना आसान है कि जीडीए सीमांतर्गत अवैध तरीके से मकान की छत बनाने का रेट एक लाख 20 हजार रूपए है। उधर इस भूखण्ड पर निर्माणकर्ता आरसी शर्मा एवं जावेद को जीडीए की तरफ से 30 सिंतबर 2020 को नोटिस जारी किया गया था। जीडीए के प्रवर्तन जोन 8 की तरफ से जारी इस नोटिस में संबंधित निर्माण को अवैध करार दिया गया था। माना जा रहा है कि कलई खुलने और कार्रवाई की आशंका से जीडीए के प्रवर्तन विभाग में निर्माणकर्ताओं को यह नोटिस जारी किया। जबकि सोशल मीडिया पर वायरल शपथ पत्र की प्रति बताती है कि जीडीए के नोटिस जारी करने के पहले अवैध निर्माण के लेनदेन की कार्रवाई हो चुकी थी।
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